लापरवाही का नतीजा: ऑयल इंडस्ट्रीज के प्रबंधक को 3 माह का सश्रम कारावास

खरगोन, अग्निपथ। खरगोन की एक अदालत ने राधाकृष्ण ऑयल इंडस्ट्रीज के प्रबंधक को लापरवाही के गंभीर आरोप में 3 माह के सश्रम कारावास और 10 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। यह फैसला एक दुखद औद्योगिक दुर्घटना के बाद आया है, जिसमें एक मजदूर की जान चली गई थी। इस मामले की पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी सिमी रत्नम आर्या ने की।

घटना 11 नवंबर, 2017 की है। भीकनगांव स्थित राधाकृष्ण ऑयल इंडस्ट्रीज में कार्यरत हेल्पर गिरधारी (पिता मायाराम) दोपहर करीब 2 बजे प्रेस के कन्वेयर बेल्ट की सफाई कर रहे थे। इसी दौरान वह अचानक कन्वेयर के साथ कॉटन ओपनर मशीन में फंस गए और गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें तत्काल भीकनगांव अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

जांच में खुली लापरवाही की परतें

गिरधारी की मृत्यु की सूचना श्रम उपनिरीक्षक श्री बलीराम मंडलोई को दी गई, जिन्होंने तुरंत मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की। उनकी प्रारंभिक जांच में पाया गया कि गिरधारी की मशीन में फंसने से ही मौत हुई थी। इसके बाद 27 दिसंबर, 2017 को कारखाना निरीक्षक खंडवा, शिरीष वाडीकर ने भी दुर्घटनास्थल का दौरा किया और विस्तृत जांच की।

जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए

मशीन बंद नहीं की गई: यदि सफाई का कार्य मशीन को पूरी तरह बंद करके किया जाता, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना टाली जा सकती थी।
सुपरवाइजर अनुपस्थित: दुर्घटना के समय मौके पर कोई सुपरवाइजर मौजूद नहीं था।

सुरक्षा निर्देशों की अनदेखी: श्रमिकों को कन्वेयर की सफाई के दौरान अपनाई जाने वाली सुरक्षित कार्य पद्धति के बारे में कोई सुरक्षा निर्देश प्रदर्शित नहीं किए गए थे।

प्रशिक्षण का अभाव: श्रमिकों को सुरक्षा संबंधी कोई प्रशिक्षण या जानकारी नहीं दी गई थी।
इन गंभीर लापरवाहियों के कारण ही श्रमिक गिरधारी के साथ यह प्राणघातक दुर्घटना घटित हुई।

प्रबंधक पर गंभीर धाराओं में मामला दर्ज

जांच में प्रबंधक सुभाष जायसवाल द्वारा कारखाना अधिनियम 1948 की धारा 7-ए(2)(सी) और 88, तथा मध्य प्रदेश कारखाना नियमावली 1962 के नियम 108 और नियम 3-ए का गंभीर उल्लंघन पाया गया। इसे कारखाना अधिनियम 1948 की धारा 92 के तहत अपराध मानते हुए, खरगोन न्यायालय में एक परिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया।

न्यायालय का फैसला

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गिरीश कुमार शर्मा की अदालत में चले विचारण के बाद, अभियुक्त प्रबंधक सुभाष जायसवाल को दोषी पाया गया। न्यायालय ने कारखाना अधिनियम 1948 की धारा 88 सहपठित मध्य प्रदेश कारखाना नियम 1962 के नियम 108 के उल्लंघन पर, अधिनियम की धारा 92 के तहत 3 माह के सश्रम कारावास और 10,000 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया।

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