गोल घेरे खूब बनायें, मगर चिकित्सा सुविधा भी बढ़ायें!

Gol ghera socila distancing

उज्जैन, अग्निपथ। शासन के फरमान पर मंगलवार की सुबह प्रशासनिक अमला मैदान में था। संभागायुक्त- एडीजी-कलेक्टर-एसपी-एडीएम सभी नजर आये। जो काम इन सभी ने कभी अपने बचपन में नहीं किया, वहीं काम गोल घेरे बनाने का करते दिखे। मगर आम जनता को आज की तारीख में गोल घेरे के बदले, शहर में चिकित्सा सुविधा की ज्यादा जरूरत है। तभी तो यह सब नजारा देखने वाली आम जनता यह बोलती नजर आई। गोल घेरे खूब बनायें- मगर साथ में चिकित्सा सुविधा भी बढ़ायें।

पिछले साल 2020 में जनता ने पहले थाली बजाई-फिर दिये जलाये थे। अब नये साल में कोरोना की प्रथम वर्षगांठ पर गोल घेरे बनाने का फरमान निकला है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान खुद गोल घेरे बना रहे हैं। तो फिर संभागायुक्त- एडीजी-कलेक्टर-एसपी-एडीएम को तो बनाना जरूरी ही था। बेगमबाग और टॉवर चौक पर इसका श्रीगणेश हुआ। ताज्जुब की बात यह है कि…शहर भर को सचेत करने के लिए कोई सायरन तो है नहीं। इसलिए आलाधिकारियों की गाडिय़ों में लगे हूटर/ सायरन से काम चलाया गया।

रिपोर्ट नहीं…

कोविड की जांच स्वामी खिलखिला के ने सोमवार की दोपहर को माधव नगर में करवाई थी। उनको बोला गया था कि 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट मिल जायेगी। मगर मंगलवार की शाम 7 बजे तक कोई रिपोर्ट नहीं मिली थी। जबकि इंदौर के अस्पताल में भर्ती स्वामी खिलखिला के को कोविड निकला है।

गायब …

वीडियो कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुए कहा था कि वह खुद 11 बजे सायरन बजने के बाद गोल घेरे बनायेंगे। उनके निर्देश थे कि प्रशासनिक अमले के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस काम में शामिल होंगे। मगर मंगलवार की सुबह प्रशासन के साथ एक भी जनप्रतिनिधि नजर नहीं आया।

क्या हासिल…

प्रशासन के आलाधिकारियों को गोल घेरे बनाते देख, जनता आश्चर्य में थी। ऐसा नजारा कभी नहीं देखा था। तभी तो जनता का सवाल है कि आखिर सोशल डिस्टेंस के लिए बनाये जा रहे गोलों से हासिल क्या होगा। पिछले साल कोरोना की शुरुआत हो गई थी। लॉकडाउन लगा था। तब भी दुकानों के आगे ऐसे ही घेरे बनवाये गये थे। तब खुद दुकानदार ने बनवाये थे। प्रशासन की सख्ती पर। अब प्रशासन खुद बना रहा है। क्या इससे कोरोना पर रोक लग जायेंगी? क्योंकि आज भी आम जनता मास्क और डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रही है। यहां यह लिखना जरूरी है कि…बगैर डंडे के डर से इसका पालन कभी नहीं करवाया जा सकता है। भले ही प्रशासन सुबह-शाम सायरन बजाकर, गोल घेरे बनाता रहे।

गुहार…

आम जनता की गुहार है कि कोविड फिर से पूरे जोर से दस्तक दे चुका है। तो प्रशासन को एक बार फिर आरडी गार्डी-अमलतास और अरबिंदो में बेड आरक्षित करना चाहिये। वर्तमान में केवल माधव नगर व चरक में ही व्यवस्था है। जो कि करीब 175 बेड की है। निजी अस्पतालों में जगह नहीं है। जबकि आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। जिला प्रशासन के मुखिया आशीषसिंह से आम जनता की गुहार है कि…गोल घेरे खूब बनायें-मगर इलाज के लिए थोड़ी सुविधा भी बढ़ायें। अतिसंवेदनशील कलेक्टर आम जनता की इस गुहार पर जरूर ध्यान देंगे।

बेड नहीं…

जनता को सतर्क करने के लिए गोल घेरे बनाये जा रहे हैं। मगर जिसकी जरूरत ज्यादा है। उस पर शासन-प्रशासन का ध्यान नहीं है। सोमवार की शाम की एक घटना है। बाबा महाकाल की सवारी में अदभूत -आकर्षक वेशभूषा में निकलने वाले तीनों स्वामियों (मुस्कुराके-दिल मिला के-खिलखिला के) में से स्वामी खिलखिला के कोरोना पीडि़त हो गये। वह शहर के सभी निजी अस्पतालों सहित चरक व माधव नगर के चक्कर लगा चुके थे।

कहीं पर भी 1 बेड खाली नहीं मिला। सभी सरकारी व निजी अस्पतालों में कोविड पीडि़त पेशेंट मौजूद थे। आखिरकार किसी तरह जुगाड़ करके इंदौर के एक अस्पताल में बेड मिला। जहां पिता-पुत्र दोनों भर्ती है। इधर कोरोना की प्रथम वर्षगांठ पर प्रशासन अस्पताल चयनित करने और बेड उपलब्ध कराने के बदले, गोल घेरे बनाने में जुटा है। शासन के आदेश पर-मजबूरी में।

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