बीपीएल सर्वेक्षण का कार्य धीमा होने के कारण 5 पर गिरी‌‌ गाज

एक पटवारी, 2 नगर निगम कर्मचारी निलम्बित, 2 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को बर्खास्त करने के कलेक्टर ने दिए निर्देश

उज्जैन। शहर में गरीबी रेखा के नीचे जीवन (बीपीएल) यापन कर रहे लोगों की सूची का सर्वेक्षण कार्य चल रहा है। 54 वार्डों में पटवारी के साथ शिक्षक व आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सर्वेक्षण के लिये लगाये गये हैं। सर्वेक्षण का कार्य अत्यधिक धीमा होने पर आज कलेक्टर आशीष सिंह ने नाराजगी व्यक्त करते हुए 1 महिला पटवारी सहित 3 सरकारी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया। वहीं 2 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बर्खास्त करने के आदेश दिए हैं।

महत्वपूर्ण मामले में लापरवाही से कार्य करने पर पटवारी अंजु राजावत हलका नम्बर-9, नगर निगम के कर्मचारी राजेश घावरी व श्याम कोली को निलम्बित करने के निर्देश दिये हैं। कलेक्टर ने साथ ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा सर्वेक्षण दल का सहयोग न करने के कारण आंगनवाड़ी कार्यकर्ता शारदा बैरागी आंगनवाड़ी केन्द्र भगतसिंह मार्ग तथा अंजू बंगेरिया आंगनवाड़ी केन्द्र जयसिंहपुरा को बर्खास्त करने के लिये जिला कार्यक्रम अधिकारी को समीक्षा बैठक में निर्देशित किया है।

बैठक में अपर कलेक्टर अवि प्रसाद, एसडीएम जगदीश मेहरा व गोविन्द दुबे एवं सर्वेक्षण के प्रभारी तहसीलदार अभिषेक शर्मा सहित 54 वार्डों से जुड़े पटवारी, उनके सहयोगी एवं महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी मौजूद थे।

कलेक्टर ने बैठक में एक-एक वार्ड की प्रगति की समीक्षा की तथा सम्बन्धित व्यक्तियों को निर्देशित किया कि वे आगामी 15 अप्रैल तक सर्वेक्षण का कार्य पूरा कर रिपोर्ट लेकर बैठक में आयें। इस सम्बन्ध में 15 अप्रैल को बैठक आयोजित की जायेगी।

अपात्र को चिन्हित कर सूची प्रस्तुत करें

बैठक में कलेक्टर ने सर्वेक्षण कार्य में जुटे सभी कर्मचारियों को निर्देशित किया कि उनको किसी व्यक्ति का नाम सूची से हटाने का अधिकार नहीं है। वे केवल अपात्र व्यक्ति को चिन्हित कर अपना प्रतिवेदन तहसीलदार को प्रस्तुत करेंगे।

तहसीलदार स्तर से सम्बन्धित व्यक्ति को नोटिस जारी किया जायेगा। समय-सीमा में उपयुक्त कारण बताने पर सम्बन्धित को सूची से नहीं हटाया जायेगा, किन्तु अपात्र सिद्ध होने पर उक्त व्यक्ति का नाम बीपीएल सूची से हटा दिया जायेगा। कलेक्टर ने कहा कि यह राष्ट्रीय महत्व का कार्य है। अपात्र लोग राष्ट्रीय संसाधन का दुरूपयोग कर रहे हैं। इनको रोकने की जिम्मेदारी सर्वेक्षण में लगे लोगों पर है।

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