अभी भी समय है, चेत जाओ, वर्ना पछताओगे

बीते दो दिनों से मन विचलित है। समाचार पत्र नकारात्मक खबरों से भरे हुए हैं। कोरोना से आहत सम्पूर्ण मानव जाति प्रकृति के इस प्रहार से कराह रही है। देश का सबसे संपन्न प्रांत गुजरात भी इस समय मुश्किल हालातों से गुजर रहा है। गुजरात के अनेक स्थानों की तस्वीरें आज प्रकाशित हुई है जिसमें अस्पतालों में मरीजों के लिये जगह ना होने के कारण सीढिय़ों पर, जमीन पर, व्हील चेयरों पर, कुर्सियों पर बिठाकर मरीजों का ईलाज किया जा रहा है, सचमुच यह तस्वीरें डराने वाली हैं। कल मेरे शहर की भी एक मार्मिक घटना ने मुझे झकझोर के रख दिया।

उज्जैन के एक संभ्रात धनाड्य परिवार के तीन सदस्य कोरोना संक्रमित होकर अलग-अलग चिकित्सालयों में ईलाज करा रहे हैं, अलग-अलग अस्पतालों में इस कारण भर्ती होना पड़ा कि किसी भी निजी चिकित्सालय में तीन पलंग खाली नहीं थे। तीनों सदस्य 40 प्रतिशत से अधिक संक्रमित है। चिकित्सकों ने तीनों कोरोना संक्रमित मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने का परामर्श दिया।

बुधवार की सुबह से गुरुवार दोपहर तक अकूत धन सम्पदा होने के बावजूद भी 18 रेमडेसिविर इंजेक्शनों की जगह मात्र 4 का ही इंतजाम हो पाया। पहले यह तय हुआ कि तीनों ही मरीजों को 1-1 इंजेक्शन लगा दिया जाए शेष 1 किसी एक को दूसरे दिन लगवा दिया जाए परंतु इसी बीच तीनों मरीजों में सबसे छोटे पोते की ज्यादा तकलीफ बढ़ गयी। जिसकी उम्र मात्र 26 वर्ष है, जिसका दो वर्ष पूर्व ही विवाह हुआ है और 1 वर्ष की बेटी है।

रेमडेसिविर का और इंतजाम ना होने के कारण परिवार ने निर्णय लिया कि बाकी दो और लोग जो उम्रदराज हो चुके हैं उन्हें महाकाल के भरोसे छोडक़र 26 वर्षीय युवक की जान बचायी जाए। उपलब्ध चारों इंजेक्शन उसे ही लगवाकर शेष दो और इंजेक्शनों की व्यवस्था के प्रयास किये जाए। इस तरह ममस्पर्शी घटनाएँ और कितनी घट रही होगी ईश्वर ही जानता है।

इसी तरह सोश्यल मीडिया पर शहर की ख्यातिनाम स्त्री रोग विशेषज्ञ श्रीमती जया कात्यान मिश्रा का एक वीडियो वायरल हुआ है जो वर्तमान परिस्थितियों की भयावहता का सचित्र वर्णन करता है। सुधि पाठकों को मालूम ही होगा कि श्रीमती जया मिश्रा विगत 25 वर्षों से स्त्री रोग विशेषज्ञ के रूप में शहर को सेवाएं दे रही है और 12 वर्षों से सिंधी कालोनी तिराहे पर जे.के. निर्संग होम संचालित कर रही हैं।

श्रीमती जया मिश्रा ने शहरवासियों से अपील करते हुए कल गुरुवार को उत्पन्न हुए ऑक्सीजन के संकट का अनुभव साझा करते हुए बताया कि कल 25 वर्षीय चिकित्सकीय जीवन काल में जो डर और सिहरन महसूस किया वह कभी नहीं किया। गंभीर से गंभीर मरीजों की चिकित्सा और बड़े से बड़े आपरेशन के समय भी उन्हें इतना डर नहीं लगा जितना उन्हें गुरुवार को लगा जब उनके नर्सिंग होम में मात्र 30 मिनट के लिये ही ऑक्सीजन शेष बची थी

उन्होंने बताया कि उनका पूरा स्टॉफ सिर्फ ऑक्सीजन की व्यवस्था में जुटा रहा, यदि कल ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं हो पाती तो कई मरीजों की जिंदगी चली जाती यह दृश्य बहुत डराने वाला था। मैं सिहर उठी और वह पल जो मैंने गुजारे हैं उनका वर्णन नहीं कर सकती हूँ।

श्रीमती जया ने अपील करते हुए नागरिकों से कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर बहुत खतरनाक है। वह उनके पति और पुत्र सहित कोरोना संक्रमित हो चुकी है। यह वीडियो सोश्यल मीडिया में आने के बाद काफी शेयर किया गया और लाखों लोगों ने इसे देखा और अनुभव किया कि वास्तव में जिस तरह से कोरोना से लड़ायी के लिये संसाधनों का अभाव बढ़ रहा है वह चिंताजनक है चाहे चिकित्सालयों में पलंगों की व्यवस्था की बात हो, रेमडेसिविर इंजेक्शन हो, ऑक्सीजन हो या वैक्सीन। कल्पना कीजिये उपचाररत मरीज को मिलने वाली ऑक्सीजन का प्रवाह यदि रूक जाए तो कितनी भयावह स्थिति होगी जिसकी कल्पना आप नहीं कर सकते।

अभी भी समय है सारी जिम्मेदारी, शासन-प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्यकर्मियों की ना होकर हम सब की भी है कोरोना से बचाव ही अब उसका उपचार है। हम सबको शपथ लेना चाहिये कि हम सामाजिक दूरी का पालन करेंगे, बिना मास्क घर के बाहर नहीं निकलेंगे साथ ही बार-बार हाथों को साबुन से धोयेंगे तभी हम इस कोरोना राक्षस का मुकाबला कर पायेंगे।
जय हिंद

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