धार, धीरेंद्र सिंह तोमर। शहर के पाटीदार हॉस्पिटल के बाजू के हॉकर्स झोन में अपनी चार बाय चार फीट की गुमटी के सामने की बड़ी सी बिल्डिंग में बैठे व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स के डॉक्टर को जावेद भाई अक्सर देखा करते थे। डॉक्टर साहब भी अपनी चार पहिया वाहन का छोटा मोटा काम जावेद के यहां करवाते थे। बस यही संबंध था दांत के डॉक्टर तरुण पंड्या और वेल्डिंग वाले जावेद भाई के बीच।
करीब छह दिन पूर्व डॉक्टर पंड्या के परिवार में कोविड मरीज को ऑक्सीजन की आवश्यकता हुई। मार्केट में सिलेंडर कहीं भी उपलब्ध नहीं थे। ऐसे में डॉक्टर पंड्या ने जावेद भाई से ऑक्सीजन सिलेंडर की मदद मांगी। जावेद ने पड़ोसी धर्म निभाते हुए तुरंत उन्हें अपना ऑक्सीजन सिलेंडर दे दिया। डॉक्टर परिवार में रिफिल करके इस ऑक्सीजन सिलेंडर का उपयोग तीन से चार मरोजों के लिये किया जा चुका है। परिवार जावेद भाई की ह्रदय से प्रशंसा कर रहा है।
कई लोगों की कर चुके हैं मदद
ऑक्सीजन के सिलेंडर की अनुपलब्धता किसी से छिपी नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति अपने स्तर पर सिलेंडर की व्यवस्था में जुटा हुआ है। ऐसे में गैस वेल्डिंग करने वाले जावेद भाई कई लोगों को फोन पर अन्य स्थानों से ऑक्सीजन सिलेंडर की उपलब्धता करवा रहे हैं। हमने जब जावेद भाई से पूछा कि आप इस सेवा का कितना चार्ज कर रहे हैं तब उन्होंने बड़ी ही सरलता से जवाब दिया कि भाई ऊपरवाले को भी मुँह दिखाना है। पैसा तो कमाते रहेंगे आज किसी की मदद ही कर लें।
समाज व सरकार क्या कर रही है मदद
ये बड़े ही आश्चर्य की बात है कि ऐसे छोटे कामगारों का कोरोना कफ्र्यू ने थाली से निवाला छीन लिया है। चाय वाला, पान की दुकान, सब्जी वाले और वे सभी लोग जो रोज काम कर अपनी दिनचर्या चलाते हैं उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होती जा रही है। ऐसे में शासन के पास ऐसे लोगों की मदद की कोई योजना नहीं है। अब आप ही बताएं कि ऑक्सीजन की उपलब्धता तो हमे आज महसूस हुई है किंतु इंसान भोजन से जीवित रहता है यह तो सभी जानते हैं। खैर आज समय है ऐसे लोगों की मदद के लिये आगे आने का जिन्हें ऑक्सीजन नहीं भोजन की आवश्यकता है।