डॉ. पॉल ने कहा “इस वैक्सीन की मदद से एक जीवित वायरस को निष्क्रिय कर दिया जाता है। यह केवल BSL3 (बायोसेफ्टी लेवल) प्रयोगशालाओं में ही तैयार किया जाता है। प्रत्येक कंपनी के पास यह नहीं है। वे कंपनियां जो कोवैक्सिन का निर्माण करना चाहती हैं हम उन्हें खुला निमंत्रण देते हैं। इसे एक साथ करना चाहिए। केंद्र सहायता करेगा ताकि क्षमता बढ़ाई जा सके।”
डॉ. पाल का बयान उस दिन आया जब सरकार ने घोषणा की कि इस साल अगस्त से दिसंबर के बीच कोरोनो वायरस टीकों की 200 करोड़ से अधिक खुराक बनने की उम्मीद है। आपको बता दें कि विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि सरकार ने वैक्सीन योजना को गलत तरीके से पेश किया था।
खुराक का अंतर 16 सप्ताह तक बढ़ा
3 प्रतिशत से भी कम आबादी को लगा टीका
भारत जैसे बड़े देश में कोरोना टीकाकरण की रफ्तार फिलहाल धीमी है। इसका प्रमुख कारण है उत्पादन और डिमांड में काफी अंतर है। गुरुवार तक देश में केवल 3.82 करोड़ लोगों को टीके की दूसरी खुराक दी गई है। यह लगभग 135 करोड़ की आबादी का सिर्फ 2.8 प्रतिशत है। डॉ. पॉल ने कहा, “हम सीमित आपूर्ति के दौर से गुजर रहे हैं। पूरी दुनिया इससे गुजर रही है। इस चरण से बाहर आने में समय लगता है।” उन्होंने कहा कि स्पुतनिक वैक्सीन की कुछ खेप भी देश में आ गई है और उन्हें उम्मीद है कि वे अगले सप्ताह से उपलब्ध होंगी।