सांवेर (इंदौर)। कांग्रेस में मंत्री पद छोड़कर भाजपा के साथ जाकर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के सूत्रधारों में से एक तुलसीराम सिलावट को क्षेत्र की जनता एक बार फिर अपना नेता चुनकर विधानसभा में भेजने की तैयारी में दिख रही है। भाजपा प्रत्याशी के तौर पर इस सीट से चुनाव लड़ रहे सिलावट 10वें राउंड की मतगणना पूरी होने तक अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू को काफी पीछे छोड़ चुके हैं। सिलावट 18 हजार से अधिक मतों से आगे चल रहे हैं। इस तरह कांग्रेस के बागी को सबक सिखाने की अपील का दांव क्षेत्र की जनता पर नहीं चला।
उपचुनाव में मतगणना के 10वें राउंड तक सिलावट को 50 हजार 71 मत मिले। जबकि गुड्डू के खाते में सिर्फ 31 हजार 341 वोट अब तक पड़े हैं। सिलावट के इस्तीफा देने से खाली हुई इस सीट पर चुनाव लड़ रहे 13 प्रत्याशियों में इन दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के अलावा तीसरे किसी प्रत्याशी को प्राप्त मतों का आंकड़ा सैकड़े का अंक भी नहीं छू पाया है। सिलावट शुरुआती दौर से ही गुड्डू से आगे चल रहे हैं। राउंड दर राउंड उनके मतों का अंतर बढ़ता जा रहा है।
बगैर मंत्री पद के लड़ा चुनाव
ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास सिपहसालारों में शामिल सिलावट ने भी सिंधिया के भाजपा के जाने के साथ ही पार्टी बदल ली थी। उन्होंने कांग्रेस में स्वास्थ्य मंत्री का पद ठुकराते हुए सरकार गिराने में भाजपा की मदद की थी। फिर कोरोना काल में ही भाजपा की शिवराज सरकार में भी उन्हें सिंधिया गुट के कोटे से मंत्री पद मिला। हालांकि पूर्व में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिए छह माह की अवधि बीत जाने के चलते उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा। इस चुनाव में भी सिलावट बगैर मंत्री रहे ही भाजपा की ओर से प्रत्याशी थे। वहीं कांग्रेस बागी होकर भाजपा में गए और वहां से वापसी कर चुके उज्जैन के पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू को सिलावट के खिलाफ मैदान में उतारा था। शायद यही वजह है कि बागी को नामंजूर करने का जो दांव कांग्रेस ने सिलावट के खिलाफ इस उपचुनाव में चला था वह उसके ही प्रत्याशी पर उलटा पड़ गया।