उत्कृष्ट सडक निर्माण के दौरान काटे गये सैकड़ों वृक्षों की नहीं हुई प्रतिपूर्ति
झाबुआ। नगर पालिका ने झाबुआ शहर में मेघनगर नाके से किशनपुरी तक उत्कृष्ट रोड बनाया। करीब 107 हरे-भरे पेड़ों की इसमें बलि ले ली गई। पिटोल से इंदौर के बीच झाबुआ से होकर फोरलेन का निर्माण भी किया गया। करीब 220 पेड़ झाबुआ क्षेत्र में काटे गए। दावे यह थे कि बदले में नए पेड़ फिर से खड़े किए जायेंगे। पांच साल बीतने को है लेकिन अभी तक कुछ नहीं किया गया। विकास जरूरी है लेकिन पर्यावरण संतुलन भी बनाकर रखना होगा।
पर्यावरण को लगातार खतरा पैदा हो रहा है। जनजागृति का अभाव तो है ही, इसके अलावा विकास के लिए हरे-भरे पेड़ों की बलि ले ली जाती है, लेकिन बदले में कुछ नहीं किया जा रहा है। निर्माण कार्य के समय तो आश्वासन दिया जाता है कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए फिर से नए पेड़ों को खड़ा करेंगे। निर्माण कार्य पूर्ण होते ही भुगतान हो जाता है। सरकारी हिसाब खत्म हो जाने के बाद पर्यावरण की चिंता कोई नहीं करता। हर आश्वासन को भुला दिया जाता है।
घने पेड़ थे पहचान
नगर में उत्कृष्ट मार्ग बनाना एक सराहनीय कदम था। इसकी कीमत पुराने पेड़ों की बलि लेकर चुकाना पड़ी। सबसे अधिक पेड़ राजगढ़ नाके से रामकुला नाले के बीच काटे गए। इस मार्ग पर आने वाले पुलिस आवास के सामने इतने घने पेड़ थे कि आवास तक नहीं दिखते थे। उत्कृष्ट मार्ग बनाने के लिए सभी पेड़ काट दिए गए। रामकुला नाला क्षेत्र के आसपास भी घने पेड़ हुआ करते थे। हरियाली को नष्ट करने के बाद दावे यह थे कि काटे गए पेड़ों के स्थान पर नए पेड़ लगा दिए जायेंगे। पांच साल में भी यह काम नहीं हो पाया है। केवल डिवाइडर के बीच में सौंदर्यीकरण को ध्यान में रखते हुए नगर पालिका ने कुछ पौधे लगाए, लेकिन यह पौधे भी नहीं पनप पाए है।
रोपे हैं पौधे
नगर पालिका सीएमओ एलएस डोडिया ने बताया कि उत्कृष्ट रोड निर्माण के दौरान कुछ पेड़ काटे गए थे, उनके स्थान पर पूरे मार्ग में पौधा रोपण किया गया। पौधों का ध्यान रखा जाता है।