पेटलावद, अग्निपथ। तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण का आज पेटलावद क्षेत्र में प्रवेश होगा। पेटलावद में मंगल प्रवेश के लिए समाजजनों ने अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी है। आचार्यश्री के आगमन से पहले पूरे पेटलावद नगर को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। रंगीन पताकाओं को डिवाइडर के हर खंबों पर लगाया जा रहा है। वहीं फ्लैक्स बैनर भी लगाए जा रहे है।
आचार्यश्री जनकल्याण के उद्देश्य से देश के 23 राज्य सहित नेपाल, भूटान में भी पदयात्रा कर चुके हैं। उनकी अब तक 51 हजार किमी से ज्यादा की पदयात्रा पूरी होने जा रही है। आचार्यश्री की प्रेरणा से एक करोड़ से ज्यादा लोग नशामुक्ति का संकल्प ले चुके हैं। वहीं आचार्यश्री की अहिंसा पदयात्रा 9 नवंबर 2014 को दिल्ली के लाल किले से शुरू हुई थी।आचार्यश्री वर्तमान में इस इस अहिंसा यात्रा के माध्यम से 15 हजार किमी पदयात्रा कर चुके हैं।
ज्ञात हो कि आचार्यश्री को प्रदेश सरकार ने राजकीय अतिथि का दर्जा प्रदान किया है। तेरापंथ समाज अध्यक्ष विनोद भंडारी, मंत्री लोकेश भंडारी ने बताया पेटलावद क्षेत्र में आचार्यश्री महाश्रमण 7 जून को मोहनखेड़ा में प्रवेश करते हुए शाम को राजगढ़ पधारे है। हालांकि कोरोना संक्रमण के कारण कोई आयोजन नहीं होगा। 8 जून को झकनावदा, 9 को तारखेड़ी, 10 को रायपुरिया, 11 से 13 जून को पेटलावद, 14 को बामनिया, 15 को करवड होते हुए 22 से 24 जून तक रतलाम क्षेत्र में धर्म प्रभावना करेंगे।
प्रशासनिक नियमो का पालन करते हुए प्रतिदिन प्रवचन आदि कार्यक्रम फेसबुक व यूट्यूब के तेरापंथ पेज पर सीधा प्रसारण हो रहा है। आचार्य श्री के साथ में धर्मसंघ की विभूति मुख्य मुनिश्री महावीरकुमारजी, मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुतविभाजी, साध्वी वर्या साध्वी श्री सम्बुद्ध यशाजी आदि साधु-साध्वी परिवार है।
अहिंसा यात्रा के 3 प्रमुख उद्देश्य
सदभावना -देश मे रहने वाले विभिन्न जाति ,धर्म ,सम्प्रदाय के लोगों में परस्पर सात्विक प्रेम, शांति और सौहाद्र्र व भाईचारा बना रहे। आपसी कटुता ,कट्टरता ,घृणा ,नफरत आदि से मुक्त रहे। नैतिकता-व्यक्तिगत,व्यावसायिक व सामाजिक आदि जीवन के सभी क्षेत्रों में यथासंभव ईमानदारी बनी रहे। नशामुक्ति-गुटका, तम्बाकू, पाउच, शराब, गांजा, चरस, ड्रग्स आदि सभी प्रकार के नशे से मुक्त रहे।