ट्री-गार्ड और लोहे के सरिये से मर रहे पेड़ों को बचाने की मुहिम
उज्जैन। कोरोना की दूसरी लहर में अननैचुरल ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के बाद शहर के कुछ लोग पर्यावरण को बचाने के लिए आगे आए हैं। पर्यावरण प्रेमी परिवार ग्रुप के सदस्य रात में भी हाथों में कटर मशीन लेकर निकल पड़ते हैं। शहर के उन रास्तों में जहां पेड़ों को ट्री-गार्ड से कवर करके भूल गए हैं और अब पेड़ या पौधा लोहे की जंजीरों में कैद हैं। ग्रुप के सभी मेंबर लोहे की जंजीरों से बंधे पेड़ों की जंजीर काटते हैं। शनिवार और रविवार को पौधारोपण करते हैं। पौधारोपण के लिए होने वाले गड्ढों के लिए एक मशीन भी खरीदी हैं। जो दूसरे लोगों को भी गड्ढे करने के लिए दी जाता है।
20 लोगों ने मिलकर बनाया ग्रुप
उज्जैन के रहने वाले व्यवसायी गौरव मालपानी ने कोरोना काल में अप्राकृतिक ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों से सबक लेते हुए शहर के बैंकर, व्यवसायी से जुड़े 20 लोगों का पर्यावरण प्रेमी परिवार का ऐसा ग्रुप तैयार किया। जिसमें सभी ग्रुप मेंबर पर्यावरण को सहजने के लिए आगे आए और अब रोजाना कुछ न कुछ योगदान देने के प्रयास करते रहते हैं।
गौरव ने बताया की शहर में कई जगह पर पेड़-पौधे पहले से लगे हैं, जिन्हें लोहे के ट्री गार्ड से कवर किया गया है लेकिन पेड़ के बड़े होने के बाद भी लोहे के जंगलों को हटाया नहीं गया। जिसके कारण कई पेड़ में दो-दो इंच अंदर तक लोहे के सरिये ने पेड़ को गिरने की स्थिति में ला दिया है। अब पर्यावरण प्रेमी परिवार के सदस्य रोजाना हाथों में कटर मशीन लेकर निकल पड़ते हैं। ऐसी लोहे की जाली और सरिये को काटते हैं।
पौधारोपण के लिए खरीद ली मशीन
गु्रप के सदस्यों का पर्यावरण से प्रेम ऐसा की हर शनिवार और रविवार की तीन दर्जन पौधे लगाने का लक्ष्य रखते हैं, लेकिन पौधे लगाने के लिए गड्ढ़े करना सबसे बड़ी चुनौती थी, जिसके लिए ग्रुप ने गड्ढ़े करने की मशीन ही खरीद ली। अब प्रत्येक शनिवार और रविवार को एक मजदूर से मशीन चलवाकर गड्ढे करवाते हैं और पौधे लगाते हैं। सभी पौधे की बड़े होने तक जिम्मेदारी ली है। जिसमें पौधे डालने से लेकर उसकी पूरी देखभाल करना शामिल है।