कृषि मंत्री के निर्देश पर कार्रवाई, किसान की उपज कम तौलने का मामला
उज्जैन, अग्निपथ। किसान की उपज कम तौलने के मामले अनाज तिलहन संघ के सचिव विजय कोठारी की फर्म सरदारमल समरथमल कोठारी का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई कृषि मंत्री के हस्तक्षेप के बाद हुई।
सोमवार को फर्म का लाइसेंस निलंबित करने के आदेश मंडी सचिव अश्विन सिन्हा ने जारी कर दिए। सिन्हा ने बताया कि कृषि मंत्री कमल पटेल के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई है। मामले में नापतौल विभाग की रिपोर्ट भी प्राप्त हो गई है। रिपोर्ट में तौल कांटे की वेल्डिंग टूटी पाई गई है। यानी व्यापारी फर्म को अपने तौल कांटे को दुरस्त रखना चाहिए था। परन्तु उसने इसमें लापरवाही सामने आई थी। तौल कांटा कब से खराब था इसका भी पता नहीं है। इसलिए मप्र राज्य कृषि उपज मंडी अधिनियम1972 क्रमांक 24 सन 1973 की धारी 33 के अन्तर्गत फर्म का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है।
यह है मामला
16 जून को रथंभंवर के किसान राधाकृष्ण गुप्ता और छाया गुप्ता की उपज लेकर उनका ड्राइवर अशोक आया था। नीलामी से पहले अशोक ने मंडी प्रांगण में स्थित राधा माधव तौल कांटे पर वाहन का वजन कराया था। इसमें उपज 98.25 क्विंटल और 84.80 क्विंटल निकली थी।
बाद में खुली बोली में नीलामी के बाद फर्म सरदारमल समरथमल कोठारी के तौल कांटे पर उपज तौली गई थी। इसमें 1.57 क्विंटल और 1.33 क्विंटल उपज कम निकली। इसकी शिकायत किसान ने मंडी समिति में की थी। शिकायत की जांच मंडी के निरीक्षण अधिकारी ने की थी, इसमें तौल कांटे की वेल्डिंग उखड़ी होने से उपज का वजन का निकलना पाया गया।
मंडी समिति ने व्यापारी फर्म को इसके संबंध में नोटिस दिया और किसान को 2.90 क्विंटल गेहूं का भुगतान कराया गया। मंडी समिति ने 18 जून को फर्म को उपज कम तौलने का नोटिस दिया था। साथ तौल कांटा जब्त करके नापतौल विभाग को भेज दिया था। 25 जून को नापतौल विभाग की रिपोर्ट आई। इसमें तौल कांटे की वेल्डिंग उखडऩा पाया गया। 28 जून को कृषि मंत्री के निर्देश पर व्यापारी फर्म का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया। साथ ही चिमनगंज मंडी समिति को व्यापारी फर्म के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए आवेदन दिया।
पटेल ने आंदोलन की चेतावनी दी थी
मामला सामने आने के बाद भाजपा किसान मोर्चा के नेता केशर सिंह पटेल ने भारसाधक अधिकारी को पत्र लिखकर कार्रवाई करने का आग्रह किया था। उनका कहना था कि एक किसान की कम उपज तौलने का मामला सामने आने के तीन दिन बाद भी मंडी के कर्मचारी और व्यापारी मामले को दबाने में लगे रहे।
तीन दिन तक मंडी से नापतौल विभाग को तौलकांटा नहीं भेजा गया। इससे साफ होता है कि मंडी समिति के कर्मचारी भी इस मामले को दबाने में जुटे हुए थे। उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही किसान से धोखाधड़ी करने वाले व्यापारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।
नापतौल विभाग की दो रिपोर्ट विजय कोठारी की पॉजीटिव आई थी। जिस किसान का मामला है उसे उसकी उपज का पूरा भुगतान दे दिया गया था। उसने मंडी समिति को लिखकर भी दे दिया था कि वह भुगतान और कार्रवाई से संतुष्ट है। इसके बाद भी इस तरह की कार्रवाई समझ से परे है।
-मुकेश हरजनका, अध्यक्ष अनाज तिलहन व्यवासायी संघ उज्जैन