फर्जी अनुज्ञा पर कैसे आए अधिकारियों के डिजिटल सिग्नेचर..?

पुलिस कराएगी वेरिफाई, बिल्डरों में हडक़ंप के हालात

उज्जैन, अग्निपथ। सरकारी दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए राज्य शासन ने मध्यप्रदेश के अधिकांश सरकारी कार्यालयों में डिजिटल सिग्नेचर की व्यवस्था लागू की लेकिन यदि डिजिटल सिग्नेचर का ही फर्जीवाड़े में उपयोग होने लग जाए तो सिस्टम पर सवाल उठना लाजमी है। गायत्री नगर में सामने आए फर्जी भवन अनुज्ञा के मामले में यहीं हुआ है। फर्जी भवन अनुज्ञा पर नगर निगम के अधिकारियों के डिजिटल सिग्नेचर कैसे आए, इस सवाल का जवाब तलाशने में चिमनगंज मंडी पुलिस जुट गई है।

नगर निगम के अधीक्षण यंत्री रामबाबू शर्मा की और से 25 जून को चिमनगंज मंडी थाने में फर्जी भवन अनुज्ञा की शिकायत की गई थी। गायत्री नगर ए सेक्टर के भवन क्रमांक एल-46 के लिए दर्शाए गए इस अनुज्ञा पत्र में खुद रामबाबू शर्मा और उनके अधीनस्थ रहे भवन निरीक्षक गोपाल सिंह बोयत के डिजिटल सिग्नेचर हैं। सिग्नेचर कैसे कॉपी हुए, किस ट्रिक को आजमाया गया..इन सारी बातों का खुलासा होना अभी बाकी है।

यदि अधिकारियों के सिग्नेचर वाकई सही होते तो नगर निगम के एबी पास साफ्टवेयर पर इस भवन अनुज्ञा की इंट्री दर्ज होती। पुलिस की अब तक की जांच में तो यही सामने आया है कि किसी दलालनुमा शख्स ने नगर निगम के अधिकारियों और खुद भवन मालिक व उसके परिवार को धोखे में रखकर चंद रुपयों के लालच में यह फर्जीवाड़ा किया है।

गायत्री नगर सेक्टर-ए फिलहाल नगर निगम की नजर में पूरी तरह से अवैध कालोनी है। यहां नियमानुसार किसी भी भवन के निर्माण के लिए अनुज्ञा जारी ही नहीं की जा सकती है। इसके बावजूद गायत्री नगर सेक्टर-ए में कई सारे प्लॉट्स के सौदे हुए हंै। कई बिल्डरों ने यहां औने-पौने दाम में भारत हाउसिंग सोसायटी के सदस्यों से प्लॉट खरीदे हंै और अब मकान बनाकर उन्हें ऊंचे दामों पर बेचने का खेल चल रहा है।

प्लॉट वेलिड नहीं है लिहाजा वाजिब तरीके से तो भवन अनुज्ञा मिल नहीं सकती, इसीलिए चंद दलाल किस्म के लोग इस कॉलोनी में सीधे-साधे लोगों को नगर निगम से नक्शा पास कराने का लालच देकर उनसे रुपए ऐंठ रहे है।

गायत्री नगर में भवन अनुज्ञा का फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद से ही यहां प्लॉट खरीदकर मकान बनाने और उन्हें ऊचे दामों पर बेचने वाले बिल्डरों में हडक़ंप की स्थिति बनी हुई है। गायत्री नगर ए सेक्टर का सच सामने आने के बाद अब कोई प्रायवेट बैंक भी यहां फायनेंस करने भी नहीं करना चाहती।

इनका कहना

नक्शे की स्वीकृति वाले पत्र पर दो जगहों पर अधिकारियों के सिग्नेचर हंै। प्रकरण से जुड़े लोगों के बयान लेने पर साफ हो जाएगा कि अनुज्ञा कहां और किसने तैयार की। मामले की जांच जारी है। -रवींद्र कटारे, विवेचना अधिकारी थाना चिमनगंज

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