फीस नहीं भरने पर टेस्ट और टर्म वन एग्जामिनेशन में शामिल नहीं कर रहे थे बच्चों को
उज्जैन। कालिदास स्कूल में बुधवार को सैकड़ों अभिभावक पहुंचे तथा स्कूल प्रबंधन से स्पष्ट शब्दों में कहा हम पूरी फीस तो नहीं भरेंगे। न्यायालय ने ट्यूशन फीस का बोला है लेकिन जो फीस पिछले साल ली जा रही थी वहीं इस वर्ष भी ली जा रही है, ऐसे में ट्यूशन फीस तय हो। मैनेजमेंट ने पालकों से लिखित में आवेदन लिया तथा उस पर बोर्ड बैठक में फीस कम करते हुए बच्चों के माता-पिता को राहत देने की बात कही है।
दरसअल कालिदास स्कूल में नवंबर माह में बच्चों की परीक्षाएं स्कूल प्रबंधन द्वारा घोषित की गई हैं। वाट्सएप ग्रुप पर फीस नहीं भरने पर टेस्ट और टर्म वन एग्जामिनेशन में शामिल नहीं किये जाने की बात कही गई साथ ही यह भी कहा गया कि फीस नहीं भरने पर उन्हें कक्षा में प्रमोशन भी नहीं दिया जाएगा। साथ ही परीक्षा के लिए कॉपी के लिए स्कूल बुलाया गया लेकिन फीस जमा नहीं होने के कारण बच्चों को कॉपियां नहीं दी जा रही थी, ऐसे में बच्चों के माता-पिता आक्रोशित हो गए और बुधवार को कालिदास स्कूल बम्बाखाना में पालकगण एकत्रित हुए और कहा बिना स्कूल लगे पूरी फीस हम नहीं देंगे।
इस दौरान हुए हंगामें में स्कूल की शिक्षिकाओं ने भी अपना दर्द बयां किया कि हम भी आधी तनख्वाह पर काम कर रहे हैं। मैनेजमेंट बच्चों से तो पूरी फीस मांग रहा है लेकिन स्टाफ को तनख्वाह आधी दे रहा है, ऐसे में उनका घर चलाना भी मुश्किल हो रहा है।
अब तक नियमावली नहीं बना सकी सरकार
हाईकोर्ट द्वारा सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलने के निर्देश के बावजूद स्कूल द्वारा पूरी फीस मांगी जा रही है, पिछले दिनों स्कूल शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार ने कहा था कि सभी जिला कलेक्टरों को निर्देशित किया जा रहा है तथा सरकार नियमावली बना रही है, जिसके अनुसार ही प्रायवेट
स्कूल ट्यूशन फीस ले सकेंगे। लेकिन अब तक शिवराज सरकार इस मामले में कोई ठोस निर्णय नहीं ले सकी है। पालकों ने आरोप लगाया कि मामा शिवराज फिर मुख्यमंत्री बनने के बाद भी भांजे भांजियों की पीड़ा नहीं समझ रहे।