बिजली विभाग की कार्यप्रणाली इन दिनों निरंकुश बनी हुई है। मनमाने बिलों के जरिए वसूली करने में जुटा बिजली विभाग सिरदर्द का कारण बना हुआ है। लॉकडाउन के दौरान सही तरीके से रीडिंग नहीं ली गई। बाद में रीडिंग बढ़ गई और स्लैब बदलने के कारण बिल हजारों रुपए में पहुंच गए।
पिछले कई महीनों का रिकार्ड देखा जाए तो जिन घरों का बिल 500-700 रुपए तक आता था, उन्हें अब तीन-चार गुना बिजली का बिल दिया गया है। बिजली कंपनी के कार्यालय पर उपभोक्ता समस्या लेकर जाता है तो उसे तमाम कायदों का हवाला देकर आखिरी में साफ तौर पर कह दिया जाता है कि बिल तो सही है, भरना ही पड़ेगा। ऐसे में ठगा सा उपभोक्ता मुंह लटकाए लौट आता है।
लॉकडाउन में धंधे-रोजगार से चौपट हो चुका व्यक्ति हजारों रुपए का बिल कहां से भरेगा। शहर का बड़े से बड़ा अधिकारी या जनप्रतिनिधि बिजली विभाग की मनमानी पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है और जनता परेशान है। छोटे-छोटे व्यापारियों को बिजली विभाग ने नहीं बख्शा है।
आम दिनों में इन दुकानों का जितना बिल आता था उससे कई गुना ज्यादा बिल उस वक्त का आया है तब लॉकडाउन के कारण दुकान पूरी तरह बंद रही और बिजली खपत ही नहीं हुई। अगर मनमानी और अराजकता का यही हाल रहा तो कभी भी शहर में कानून व्यवस्था चरमरा सकती है।