फ्री फॉर आल: 50 हजार श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
उज्जैन, अग्निपथ। श्रावण मास के दूसरे सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को प्री बुकिंग नहीं होने पर जिला प्रशासन द्वारा फ्री फॉर आल दर्शन कराए गए। बरसते पानी में भी श्रद्धालुओं ने खड़े होकर भगवान महाकाल के दर्शन किए। करीब 50 हजार श्रद्धालुओं ने भगवान महाकाल के दोपहर 1 बजे तक दर्शन किए। पश्चात भगवान महाकाल की श्रावण मास के दूसरी सवारी निकाली गई। मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी साधनासिंह और प्रभारी मंत्री जगदीश देवड़ा भी महाकाल दर्शन को मंदिर पहुंचे।
सुबह से ही भगवान महाकाल के दर्शन के लिए चार धाम से श्रद्धालुओं की भीड़ बैरिकेड में प्रवेश कर जाने के लिए आतुर दिखाई दी। सुबह 5 बजे से श्रद्धालुओं को भगवान महाकाल के दर्शन कराए जाना शुरू कर दिए गए थे। करीब 45 मिनट में श्रद्धालुओं को भीगते हुए भगवान महाकाल के दर्शन हुए। लेकिन श्रद्धालु इस दर्शन व्यवस्था से खुश नजर आए। ऐसे श्रद्धालु जोकि बिना प्री बुकिंग के आए थे उनको भी जिला प्रशासन ने दर्शन करा कराए। जाते-जाते कई श्रद्धालु जिला प्रशासन को धन्यवाद कहते हुए अपने गंतव्य की ओर रवाना हुए।
जिला प्रशासन का क्राउड मैनेजमेंट आखिरकार सफल हुआ। हालांकि मंदिर के आसपास श्रद्धालुओं की भीड़ बड़ी संख्या में एकत्रित हुई थी। लेकिन सभी को जिला प्रशासन ने दर्शन करवा कर व्यवस्था को सफल साबित किया। प्रशासन की कोशिश रही कि दोपहर 1 बजे तक अधिक से अधिक श्रद्धालुओं को दर्शन कराने के बाद मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों को खाली करा लिया जाए। ताकि सवारी के दौरान अव्यवस्था नहीं हो। दोपहर 1 बजे तक लगभग 50 हजार श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन कर चुके थे।
पार्किंग हुए फुल, यहां वहां खड़े किए वाहन
बड़ी संख्या में यात्रियों के चार पहिया वाहन चारधाम और माधव सेवा न्यास पार्किंग में सुबह ही पहुंच चुके थे। पार्किंग फुल होने से यात्रियों ने चारधाम की ओर जाने वाले मार्ग पर यहां वहां पार्किंग कर दी थी। इससे जाम की स्थिति बन गई। बाद में अधिकारियों ने इन वाहनों को चिंतामन रोड से नृसिंह घाट की ओर डायवर्ट किया। पुलिस के अधिकारी भी वाहनों की पार्किंग करवाने में असमर्थ साबित हो रहे थे। आखिरकार वाहनों की पार्किंग का रूट अधिकारियों को डायवर्ट करवाना पड़ा।
कैसे निकले बाहर, रास्ता बंद
क्षेत्र के निवासियों को सवारी निकालने के दौरान बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि गली कूचे और मुख्य सडक़ों पर जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं को रोकने के लिए बैरिकेड लगा दिए हैं । जिसके चलते उनको अपने घर से बाहर निकलने में भी परेशानी आ रही है। सवारी निकाले जाने के दौरान रहवासियों को अपने घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई। उनको अपने आवश्यक कामकाज निपटाने में भी परेशानी का सामना करना पड़ा।
रंगबिरंगी आतिशबाजी ने मन मोहा
सवारी हरसिद्धि की पाल से जैसे ही हरसिद्धि मंदिर पहुंची। यहां पर पालकी का स्वागत रंगबिरंगी आतिशबाजी के साथ किया गया। आतिशबाजी को देखकर मंदिर कर्मचारियों सहित अधिकारी भी इसका वीडियो बनाते रहे। भगवान महाकाल और माता हरसिद्धि की भेंट के पश्चात महाआरती की गई। माता को महाकाल के पुजारियों ने सुहाग सामग्री भेंट की तो हरसिद्धि के पुजारियों ने भी भगवान को दुपट्टा ओढ़ाकर परंपरा का निर्वहन किया।
सीमित संख्या में रहे पुजारी पुरोहित
जिला प्रशासन के निर्देश के बाद सीमित संख्या में पुजारी पुरोहित भगवान महाकाल की पालकी में शामिल हुए। बड़ी संख्या में अधिकारी पालकी के साथ चलते हुए दिखाई दिए। मंदिर के कर्मचारी भी सीमित संख्या में पालकी के साथ शामिल थे। नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, पीएचई, एमपीईबी आदि के अधिकारी कर्मचारी भी सवारी मार्ग में सवारी के साथ शामिल हुए। बड़ी संख्या में लोगों ने अपने घरों में ही बैठकर भगवान महाकाल की सवारी के ऑनलाइन दर्शन किए और पुण्य लाभ कमाया।
सावन के दूसरे सोमवार को भगवान महाकाल ने रजत पालकी में चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में दर्शन देकर भक्तों को निहाल कर दिया। सभा मंडप में कलेक्टर आशीष सिंह ने सपरिवार भगवान महाकाल के चंद्रमौलेश्वर स्वरूप का पूजन अर्चन किया। पश्चात कलेक्टर और एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल द्वारा सवारी को कंधा दिया जाकर नगर भ्रमण को रवाना किया गया।
शहनाई गेट पर सशस्त्र पुलिस बल की टीम ने भगवान को गार्ड ऑफ ऑनर देकर सम्मान किया। पश्चात पालकी बड़ा गणेश, हरसिद्धि मंदिर, सिद्धाश्रम, झालरिया मठ होते हुए रामघाट पहुंची। सवारी में भगवान मनमहेश हाथी पर सवार थे। यहां पर पुजारी आशीष गुरु ने मां शिप्रा के जल से उनके पैर पखारे और महाआरती की। पालकी रामघाट से हरसिद्धि पाल होते हुए हरसिद्धि मंदिर पहुंची। यहां पर भव्य आतिशबाजी के साथ पालकी का स्वागत किया गया। पुजारियों ने भगवान महाकाल और हरसिद्धि माता का मिलन करवाया और महाआरती की। इसके बाद कड़ाबीन के धमाके और आतिशबाजी के साथ पालकी रवाना होकर बड़ा गणेश मंदिर से होते हुए महाकालेश्वर मंदिर पहुंची।
बेरिकेड्स के पीछे और छतों से किए दर्शन
भगवान महाकाल के दर्शन के लिए भक्तजन इतने अधिक उतावले रहते हैं कि सवारी में प्रतिबंध के बावजूद किसी भी तरह के कष्ट उठाकर दर्शन करते हैं। सवारी निकाले जाने के दौरान हरसिद्धि की पाल, झालरिया मठ के सामने की छतों, बड़ा गणेश मंदिर के संकरे रास्ते पर लगाए गए बेरिकेड्स के पीछे खड़े होकर श्रद्धालुओं ने भगवान महाकाल की सवारी के दर्शन किए। सवारी के आने की सूचना के बाद छतों पर खड़े हुए श्रद्धालु जय श्री महाकाल के उदघोष लगाते हुए दिखाई दिए।
राणोजी की छत्री पर चाय को तरसे अधिकारी
महाकालेश्वर की सवारी जब रामघाट पर पहुंचती है तब हर बार राणोजी की छत्री पर पुलिस, प्रशासन और नगर निगम सहित अन्य विभागों के बड़े अधिकारियों के लिए नगर निगम द्वारा चाय-बिस्किट का प्रबंध किया जाता है। भीड़ को सवारी मार्ग से दूर रखने के लिए इस बार की गई सख्त व्यवस्थाओं का असर इन अधिकारियों पर भी पड़ा।
दानीगेट और हरसिद्धी की पाल के बीच की गई सख्त बेरिकेटिंग के कारण राणोजी की छत्री तक चाय भी नहीं पहुंच सकी। नगर निगम के कर्मचारी अपने साथ बिस्किट जरूर ले गए थे लेकिन चाय नहीं आने के कारण बिस्किट भी रखे ही रह गए। अधिकारियों ने केवल पानी पीकर काम चलाया।
साधना सिंह, प्रभारी मंत्री देवड़ा ने किए दर्शन
प्रति वर्ष की भांति इस बार भी मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी साधना सिंह प्रत्येक श्रावण सोमवार को भगवान महाकाल के दर्शन को आ रही हैं। इसी तारतम्य में दूसरे सोमवार को भी साधना सिंह अपने परिवार की महिलाओं के साथ भगवान महाकाल के दर्शन को आईं। नंदीहाल में पुजारी प्रदीप गुरु ने उनका पूजन अभिषेक संपन्न कराया।
इसी तरह उज्जैन के प्रभारी मंत्री जगदीश देवड़ा भी भगवान महाकाल के दर्शन को आए। कलेक्टर आशीष सिंह के साथ उन्होंने आम श्रद्धालुओ की ही तरह रैलिंग से भगवान महाकाल के दर्शन किए। पुजारी प्रदीप गुरु ने रैलिंग में ही खड़े होकर उनकी पूजा-अर्चना संपन्न करवाई।