कोरोना संक्रमण के दौर में सुरक्षाकर्मियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़
उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर में थंब इंप्रेशन मशीन से मंदिर के सुरक्षाकर्मियों की उपस्थिति कोरोना संक्रमण के इस दौर में शुरू कर दी गई है, लेकिन मंदिर के कर्मचारियों को इससे मुक्त रखा गया है। उनकी उपस्थिति रजिस्टर में ही दर्ज हो रही है। मंदिर में कोरोना संक्रमण के दौर में दो तरह के नियम चलाए जा रहे हैं।
रविवार से मंदिर का 175 सुरक्षाकर्मियों के थंब इंप्रेशन लेना शुरू कर दिए गए हैं। मंदिर के सुरक्षाकर्मी ड्यूटी पर आने और वापस घर जाने के दौरान थंब इंप्रेशन मशीन से अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। मंदिर के स्टोर शाखा और अकाउंट शाखा प्रभारी के एसआईएस कंपनी को स्पष्ट निर्देश है कि सुरक्षाकर्मियों की हाजिरी थंब इंप्रेशन से लगाई जाए। बिना सोचे समझे दिए गए निर्देश के पालन में यदि कोई सुरक्षाकर्मी कोरोना पॉजीटिव हुआ तो उसके संक्रमण से अन्य सुरक्षाकर्मी भी चपेट में आ जायेंगे। जबकि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर पूर्व प्रशासक सुजान सिंह रावत ने मंदिर के 318 कर्मचारियों और ठेका संभालने वाले सुरक्षा कंपनी एसआईएस के 175 सुरक्षाकर्मियों को थंब इंप्रेशन मशीन से हाजिरी देने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। प्रतिबंध लगाए हुए लगभग 5 महीने बीत चुके हैं। सभी की उपस्थिति रजिस्टर में लगाई जा रही थी, लेकिन स्टोर शाखा प्रभारी और अकाउंट शाखा प्रभारी के निर्देश के बाद विगत 3 दिन से सुरक्षाकर्मियों की हाजिरी थंब इंप्रेशन मशीन से लगाई जा रही है।
एसआईएस कंपनी पर शक
एसआईएस कंपनी के ब्रांच हेड अरविंद सिंह द्वारा लॉकडाउन के दौरान जो बिल बनाए गए थे, वह उपस्थिति रजिस्टर में से ही बनाए गए थे, जिन पर ऑडिट आपत्ति भी आई थी। क्योंकि लॉकडाउन के दौरान सुरक्षाकर्मियों को पूर्व प्रशासक श्री रावत द्वारा कम कर दिया गया था, लेकिन बिल देते वक्त कंपनी के ब्रांच हेड द्वारा वेतन पत्रक में सभी 175 कर्मचारियों की उपस्थिति दर्शाई गई थी।
इसको लेकर मंदिर की अकाउंट शाखा द्वारा भी मिलान किया गया था। वेतन पत्रक में ऐसे सुरक्षाकर्मियों की भी हाजिरी लगा दी गई थी जो कि कई दिनों से ड्यूटी पर उपस्थित नहीं हुए थे। इसको लेकर मंदिर के बिल क्लियर करने में भी परेशानी आ रही थी और सुरक्षाकर्मियों को महीनों से वेतन का इंतजार करना पड़ रहा था। सुरक्षाकर्मियों का 3 माह का वेतन बकाया चल रहा है। केवल एक माह का वेतन हाल ही में उनके खातों में डाला गया है, क्योंकि मंदिर प्रशासन द्वारा वेतन पत्रक में गलत उपस्थिति भी भरी गई थी। इसके चलते उनके बिल को रोक लिया गया था।
कंपनी से वसूलें पेनल्टी
एसआईएस कंपनी के कर्ता-धर्ताओं द्वारा टेंडर शर्तों का भी उल्लंघन किया जा रहा है। प्रत्येक माह की एक तारीख तक सुरक्षाकर्मियों के खाते में वेतन डालने की शर्त रखी गई थी। लेकिन इसके द्वारा ठेका संभालते ही वेतन देने में लेतलाली करना शुरू कर दिया गया और दिसंबर-19 से लेकर नवंबर-20 तक लगभग 3 माह का वेतन सुरक्षाकर्मियों का बकाया चल रहा है।
इतना ही नहीं एसआईएस कंपनी द्वारा मंदिर के अधिकारियों के दबाव के बावजूद दीपावली पूर्व का बोनस सुरक्षाकर्मियों के खाते में नहीं डाला गया जोकि टेंडर शर्तों का घोर उल्लंघन है। अब मंदिर प्रशासन को यह शर्तों के उल्लंघन पर नियमानुसार पेनल्टी वसूल की जाना चाहिए।
मंदिर कर्मचारियों की उपस्थिति रजिस्टर से
मंदिर में कोरोना को लेकर दो तरह के नियम चलाए जा रहे हैं, जहां एक ओर सुरक्षाकर्मियों को थंब इंप्रेशन मशीन से उपस्थिति भरने के निर्देश प्रदान किए गए हैं, वहीं मंदिर के 318 कर्मचारियों को उनकी हाजिरी रजिस्टर से देने के निर्देश हैं। ऐसे में सुरक्षाकर्मियों के साथ मंदिर प्रशासन द्वारा भेदभाव पूर्ण नीति अपनाई जा रही है और कोरोना नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है।