दो पैनल के 12 सदस्यों की छह बागियों से होगी टक्कर, बंटू कलवाडिया, नरेंद्र सोगानी भी दावेदार बने
उज्जैन। विक्रमादित्य मार्केट नागरिक सहकारी बैंक के चुनाव में समन्वय नहीं बन सका। इस बार चुनाव मैदान मेंं दो पैनल के 12 दावेदारों के सामने छह बागी दावेदार भी हैं। इन्हें सोमवार दोपहर तक मनाने की कोशिश की गई। परन्तु किसी भी प्रत्याशी को कोई भी नहीं मना पाया और सुलह-समझौते के प्रयास विफल होने के बाद सबने अंत में फैसला चुनाव लडऩे का कर लिया।
इधर एक तरफ समन्वय पैनल के नाम पर समझौते का प्रयास किया जा रहा था, वहीं 12 दावेदार में से केवल एक दावेदार दिलीप बरबोटा ने ही खुद बैंक हित में अपना नाम वापस लेने का प्रस्ताव दिया था। बाकी सदस्यों ने चुप्पी साध ली थी। इसलिए भी निर्विरोध चुनाव के प्रयास सिरे नहीं चढ़ पाए।
शाम साढ़े चार बजे चुनाव अधिकारी रघुवर पिपलाज ने सभी सदस्यों को चुनाव चिंह का आवंटन किया। चुनाव में नौ पुरुष सामान्य वर्ग से चुनाव मैदान में हैं। इनमें 15 दावेदावर ललित सेठी, नरेंद्र सोगानी, आलोक अग्रवाल, विजय कोठारी, मोहनलाल काला, अंतिम जैन, राजेश माहेश्वरी, मनीष जैन, राजेश गर्ग, शैलेष कलवाडिया, मनोज बोहरा, राकेश वनवट, दिलीप बरबोटा,शैतानमल सरावगी, रामविलास गुप्ता शामिल हैं। जबकि सामान्य महिला की तीन दावेदार सुनीता पलौड, रिकिता चौधरी, पूनम टेकवानी शामिल हैं। अनुसूचित जाति से हरिनारायण बड़वाया, चंद्रमोहन रावत शामिल हैं।
समन्वय पैनल के 12 सदस्य
प्रगति पैनल और समन्वय पैनल के बीच इस बार मिलकर चुनाव लडऩे पर फैसला हो गया है। इसलिए दोनों ही पैनल के कुल 12 सदस्य ही चुनाव मैदान में हैं। इन 12 सदस्यों का दावा है कि बैंक के वरिष्ठ सदस्यों की सहमति से ही वे चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ सहकारी बैंक के चुनाव में जो छह सदस्य बागी के तौर पर खड़े हुए हैं। वे भी बैंक की साख और व्यवस्था को सुधारने का दावा करते हुए चुनाव में खड़े हुए हैं।
दोपहर में एक गुट मिलने गया था
बताया जाता है कि आज सुबह वीडी बैंक के कुछ सदस्य जिनमें विनोद बरबोटा, राजेश माहेश्वरी, वासु केशवानी समेत कुछ अन्य सदस्यों के बीच निर्विरोध चुनाव लडऩे के लिए पहल की गई थी। परन्तु सभी कुछ नामों पर सहमत नहीं हुए और चुनाव का फैसला लिया गया। दिलीप बरबोटा का कहना है कि मैंने अपना पद छोडऩे की पेशकश की थी। सुबह समझौता बैठक की जानकारी होने पर मैंने अपना फैसला सदस्यों को बता दिया था। परन्तु बाकी सदस्यों ने इस पर सहमति नहीं जताई और चुनाव का फैसला हुआ।