- सांदीपनी आश्रम, बड़ा गोपाल और इस्कॉन मंदिर में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
- महाकाल और श्रीकृष्ण शिक्षास्थली के प्रदेश के राज्यपाल ने दर्शन किए
उज्जैन। विगत डेढ़ वर्ष के पश्चात जन्माष्टमी पर्व पर श्रद्धालुओं को भगवान श्री कृष्ण के दर्शन आसानी से हुए हैं। उज्जैन की धार्मिक आस्था का लाभ लेने के लिए मध्य प्रदेश के राज्यपाल महामहिम मंगू भाई पटेल भी सांदीपनी आश्रम और भगवान महाकाल के दरबार में पहुंचे और दर्शन पूजन किया। संध्या आरती में भगवान महाकाल को श्रीकृष्ण स्वरूप में मोर पंख लगाकर श्रृंगारित किया गया था। वहीं सवारी में भगवान चंद्रमौलेश्वर अपने माथे पर मोरपंख लगाए हुए थे।
जन्माष्टमी पर्व पर सुबह से ही सांदीपनी आश्रम, बड़ा गोपाल मंदिर और इस्कॉन मंदिर में श्रद्धालुओं की आवाजाही चलती रही। शाम को एकाएक श्रद्धालुओं का सैलाब इन मंदिरों में उमड़ पड़ा। यहां तक कि जन्माष्टमी पर्व पर उज्जैन की धार्मिक आस्था का लाभ लेने के लिए बाहर के श्रद्धालु बड़ी संख्या में मैजिक और ऑटो में सवार होकर भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों में पहुंचे। सबसे अधिक भीड़ सांदीपनी आश्रम और इस्कॉन मंदिर में रही।
इस्कॉन मंदिर में 6-6 श्रद्धालुओं के क्रम में दर्शन कराए जाते रहे। भगवान राधा मोहन का 14 प्रकार के फलों से सजाया गया। पूरे मंदिर को वृंदावन की रासलीला के तर्ज पर सजाया गया था। श्रद्धालुओं का सैलाब मंदिर के रात्रि 10 और 10.30 बजे श्रद्धालुओं के प्रवेश बंद होने पर ही रुके। सांदीपनी आश्रम में श्रद्धालुओं का प्रवेश रात्रि 10 बजे बंद कर दिया गया था और इस्कॉन मंदिर में रात्रि 10.30 बजे श्रद्धालुओं के आगमन पर विराम लगा दिया गया था।
महाकालेश्वर मंदिर स्थित साक्षी गोपाल मंदिर में भी बीच बीच में श्रृंगार को बदला गया। ज्ञातव्य रहे कि महाकाल दर्शन को तभी पूर्ण माना जाता है जब भगवान साक्षी गोपाल के दर्शन किए गए हों।
घंटा-घडिय़ालों के बीच दिव्य आरती
रात्रि 12 बजते ही सांदीपनी आश्रम, बड़ा गोपाल मंदिर और इस्कॉन मंदिर में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। घंटा घडिय़ालों की आवाज के बीच भगवान की दिव्य आरती की गई। सांदीपनी आश्रम में उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव, ज्योतिषाचार्य आनंद शंकर व्यास सहित प्रशासनिक अधिकारियों ने भगवान श्री कृष्ण की महाआरती में शामिल होकर पुण्य लाभ कमाया। नंद के आनंद भयो…. जय कन्हैया लाल की.. जय घोष के बीच भगवान श्री कृष्ण की दिव्य प्रतिमा का आकर्षण देखते ही बन रहा था। इस दौरान एक भी श्रद्धालु को मंदिर में आरती देखने के लिए प्रवेश नहीं दिया गया था।
कृष्ण के रंग में रंगे महाकाल, सवारी में लगाया मोरपंख
धार्मिक नगरी उज्जयिनी में जन्माष्टमी पर्व विशेष उल्लास के साथ मनाया जाता है। क्योंकि यह भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली रहा है। यहां तक कि इस दिन भगवान महाकाल भी कृष्ण भक्ति में रम जाते हैं। जन्माष्टमी पर भगवान महाकाल की छठवीं सवारी धूमधाम से निकाली गई। जिसमें भगवान महाकाल के विग्रह श्री चंद्रमौलेश्वर को मोर पंख धारण कराया गया।
भगवान महाकाल की सवारी अपने रूट से होती हुई रामघाट पहुंची। यहां पर मां शिप्रा के जल से भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन अर्चन किया गया। साथ में भगवान श्री मनमहेश हाथी पर सवार होकर सारा दृश्य देख रहे थे। रामघाट से पालकी होती हुई हरसिद्धि की पाल और हरसिद्धि मंदिर पहुंची। यहां पर मंदिर के पुजारियों द्वारा भगवान महाकाल का जोरदार स्वागत किया गया। इसके बाद पालकी बड़ा गणेश मंदिर से होते हुए महाकालेश्वर मंदिर पहुंची। इस दौरान श्रद्धालुओं को भगवान के ऑनलाइन दर्शन कराए जाते रहे।
संध्या आरती में मोरपंख-वैष्णव तिलक
भगवान महाकाल को जन्माष्टमी पर्व के मद्देनजर संध्या आरती में बालगोपाल स्वरूप रूप में सजाया गया। भांग से भगवान महाकाल का आकर्षक श्रृंगार किया गया जो देखते ही बन रहा था। महाकाल को मोरपंख लगाया गया था। वहीं दो चंद्रमा के बीच वैष्णव तिलक धारण कराया गया था। नैवेद्य कक्ष में पुजारी आशीष गुरु द्वारा भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह का अभिषेक पूजन अर्चन किया गया। इस तरह से पूरा महाकालेश्वर मंदिर जन्माष्टमी पर्व पर पूरी तरह से कृष्णमय में हो गया था।