थांदला, अग्निपथ। गुजरात, राजस्थान सीमा से सटे थांदला नगर का बस स्टैंड जिम्मेदारों की उदासीनता का शिकार बना हुआ। बस स्टैंड शुरू से विवादों में रहा। बाद में प्रशासनिक हस्तक्षेप के चलते बस स्टैंड जैसे तैसे शुरू तो हुआ किन्तु नगर परिषद जिसकी जिम्मेदारी बस स्टैंड को विकसित करना थी ने कभी सुध नहीं ली। हां नगर परिषद ने इस बस स्टैंड से अपनी आय का साधन जरूर ढूंढ लिया। यात्री प्रतीक्षालय में दुकाने बनाकर।
अतिक्रमण का अंबार-बस स्टैंड प्रवेश के दोनों छोर पर दो पहिया, चार पहिया वाहनों का जमावड़ा लगा रहता है। जिसके चलते बसों के आवागमन में दिक्कत आती है तो दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है। बस स्टैंड के सुतरेटि चौराहा से एमजी मार्ग को जोडऩे वाली सडक़ पर भी दुकानदारों द्वारा अनाप सनाप अतिक्रमण करने से आए दिन यहां जाम की स्थित लगी रहती है। बस स्टैंड के एक ओर टेम्पो, अवैध संचालित होने वाली जीपों की वजह से कई बसों को पेटलावद रोड पर खड़ा करना पड़ता है। जिससे इस रोड पर भी दुर्घटना की संभावना बनी रहती है।
रात में रहता अंधेरा-नगर के बस स्टैंड से प्रति दिन लगभग 75 बसों का आवागमन है जो जिले सहित महानगर इंदौर पड़ोसी जिलों सहित राजस्थान गुजरात की ओर आवागमन करती हैं। जिनमें 2 से 3 हजार यात्री प्रतिदिन यहां से यात्रा करते हैं। किंतु पर्याप्त विद्युत व्यवस्था न होने के चलते शाम ढलते ही बसें स्टैंड पर न पहुंच कर इधर-उधर सावरियां उतरती चढ़ाती हंै। बस स्टैंड पर पेयजल की व्यवस्था न होने से यात्रियों को कंठ तर करने यहां वहां भटकना पड़ता है।
सुरक्षा के नहीं इंतजाम
जिला मुख्यालय के बाद सबसे बड़े बस स्टैंड पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं, जिसके चलते स्टैंड क्षेत्र में अपराधी और आवारा प्रवृत्ति के लोगों का जमावड़ा रहता है। सुरक्षा के अभाव में विशेष कर महिलाओं, युवतियों तथा छात्राओं को यात्रा करने में हमेशा भय बना रहता है। नगर परिषद ने नगर के अन्य क्षेत्रों में 47 सीसी टीवी कैमरे लगवाए किन्तु जिस स्टैंड से हजारों यात्री यात्रा करते वहां सीसी टीवी कैमरा लगाना उचित नहीं समझा।
इनका कहना
मुझे अभी ज्वाइन हुए कुछ समय ही हुआ है। परिषद की मदद से मैं नगर की समस्याएं जान कर उनके समाधान का हर सम्भव प्रयास कर रहा हूं। -भरत टाक-सीएमओ, नगर परिषद थांदला