तीन कर्मचारी और पांच बच्चे आए डेंगू की चपेट में
उज्जैन, अग्निपथ। शहर में डेंगू के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। अब जिला चिकित्सालय में रहने वाले स्वास्थ्यकर्मी और उनके बच्चे डेंगू की चपेट में आ गए हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग उनको डेंगू पाजीटिव नहीं मान रहा क्योंकि उन्होंने प्रायवेट लैब में अपनी ब्लड जांच करवाई है। ऐसे में शहर में कई ऐसे लोग हैं, जो कि प्रायवेट डेंगू की जांच करवा कर सरकारी आंकड़े नहीं बढ़ा रहे हैं।
जिला अस्पताल के पीछे निवास करने वाले अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मी परिवार के साथ रहते हैं। लेकिन अस्पताल में सफाई का इंतजाम न के बराकर है। जिला अस्पताल के पास ही गंदगी पसरी रहती है। वार्डों के मरीजों द्वारा फेंका गया कचरा भी नहीं उठाया जाता। ड्रेनेज का पानी ओवरफ्लो होकर पूरे परिसर में फैला है। गंदगी के कारण मच्छर पनप रहे हैं और लोगों को काटने से मलेरिया व डेंगू की चपेट में आ रहे हैं।
अस्पताल परिसर में रहने वाले बच्चे रोहित नाहर, लग्नेश, हर्षिता, अमित, रूचिका डेंगू की चपेट में आये और जिला अस्पताल व माधव नगर अस्पताल में भर्ती होकर उपचार करा रहे हैं। जबकि एक नर्स मोनिका सहित विजय लावरे की पत्नी भी पाजीटिव होकर डेंगू से बीमार होकर उपचार करा रहे हैं।
सरकारी लैब में जांच नहीं तो निगेटिव
डेंगू के मामले में सरकारी लैब में जांच कराए जाना आवश्यक है। यदि जांच नहीं कराई जाती तो सरकार इसको पाजिटिव नहंी मानती। ऐसे में शहर में कई लोग अपने बच्चों और परिवारजनों की जान बचाने के लिए सरकारी लैब जो कि चरक अस्पताल में स्थित है। इसकी जगह प्रायवेट लैब में जांच कराते हैं। इसकी रिपोर्ट शीघ्र मिल जाती है, जबकि सरकारी लैब की रिपोर्ट तीन दिन बाद मिलती है।
सूचना मिलने पर ही हम पहुंचते दवा का छिडक़ाव करने
जिला अस्पताल में निवासरत स्वास्थ्यकर्मियों के पाजीटिव निकलने की खबर के बाद मलेरिया विभाग के दो कर्मचारी वहां पर दवा का छिडक़ाव करने पहुंचे। उन्होंने कांटेक्ट टे्रसिंग करने के लिए आसपास के लोगों से रजिस्टर में हस्ताक्षर करवाए। विभाग में सूचना जाने के बाद ही कर्मचारी डेंगू पीडि़त मरीज के घर के आसपास मलेरिया रोधी दवा का छिडक़ाव करते हैं।