उज्जैन से लैक्मे फैशन वीक तक का सफर

बचपन के सपने को खुद के काम के साथ कर रही साकार, मुम्बई में किया सेलेब्रिटी स्टाइलिंग का काम भी

उज्जैन, अग्निपथ। किसी भी सपने को पूरा करने के लिए जुनून और मेहनत की जरूरत होती है। साथ ही आवश्यक होता है आपके परिवार का साथ और ऐसे में अगर आपको दिशा दिखाने वाले गुरु भी बेहतरीन मिल जाये, तो सोने पर सुहागा। उज्जैन की आयुषी जैन की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।

बचपन में जब कोई पूछता था, तो आयुषी का जवाब होता था कि वो बड़ी होकर एक फैशन डिजायनर बनेगी। जुनून ऐसा कि उसके स्कूल के दिनों में इंदौर में होने वाले आईएनआईएफडी के हर फैशन शो को परिवार के साथ जाकर देखती। आज आयुषी उसी इंस्टिट्यूट से फैशन डिजाइनिंग में ग्रेजुएट है और खुद का काम करती है। आयुषी का अपना खुद का लेबल अतरंगी फैशन एंड आर्ट है, जिसे वो ऑनलाइन संचालित करती है।

मुश्किल था, लेकिन फैकल्टी ने किया आसान

बचपन से क्रिएटिव रही आयुषी के लिए फैशन डिजाइनर बनना सपना जरूर रहा, लेकिन आयुषी का कहना है कि यह इतना आसान भी नहीं था। जब हम काम करते हैं, तो यह बिल्कुल अलग रहता है। मैंने फैशन डिजाइनिंग के हर पहलू पर काम किया, जिसे आईएनआईएफडी के फैकल्टीज ने सराहा और मुझे तराशने का काम भी किया।

आईएनआईएफडी में होने वाली वर्कशॉप और एजुकेशनल ट्रिप से बहुत फायदा मिला। 2016 में आईएनआईएफडी से पास आउट आयुषी ने अपनी पढ़ाई के बाद मुंबई में 3 महीने सेलिब्रिटी स्टाइलिंग का काम किया और उसके बाद उज्जैन आकर 2 महीने एक बुटीक में काम करने के बाद खुद के लेबल अतरंगी फैशन एंड आर्ट की शुरुआत की।

लैक्मे फैशन वीक सहित कई अनुभव किए हासिल

आयुषी कॉलेज में हमेशा आगे रहीं और कड़ाई, स्टाइलिंग सहित कई कार्यशालाओं में शामिल होकर अनुभव लिया। आईएनआईएफडी के वार्षिक फैशन शो के अलावा आसिफ शाह और गीतांजलि के फैशन शो का भी हिस्सा रहीं। साथ ही कॉलेज के साथ लैक्मे फैशन वीक में भी गईं।

कभी खत्म नहीं होती क्रिएटिविटी

आयुषी कहती है कि आपके अंदर की क्रिएटिविटी कभी खत्म नहीं होती। मैंने अपने लेबल को ऑनलाइन शुरू करने के साथ लोगों तक एग्जीबिशन के माध्यम से पहुंचाया। आज भी अलग-अलग चीजें करती रहती हूं। मेरे लेबल अतरंगी में हैंड क्राफ्टेड चीजों की भी जगह है।

उज्जैन से इंदौर, फिर मुंबई और अब वापस उज्जैन में काम करना सब बहुत अच्छा रहा है। मैंने अपने सपने देखें और उसे पूरा करने के लिए जी जान लगाई। इसमें मेरे कॉलेज आईएनआईएफडी और उनकी फैकेल्टी का सबसे बड़ा सहयोग रहा। यही मेरे लिए कामयाबी है और इसमें मेरे पेरेंट्स का बहुत सहयोग रहा।

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