अ अक्षर के आड़े आएगा समय, 4 से 6 कैसे होगी पढ़ाई

शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कुरीतियों जैसी चुनौतियों से जद्दोजहद करते आदिवासी बाहुल्य जिले को आजादी के साढ़े सात दशक बाद भी साक्षरता के लिए गेर शासकीय संगठन के माध्यम से 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को साक्षरता हेतु स्कूल लगाने की कवायद करना पड़ रही। वह भी जब इस क्षेत्र के लिए पूर्व में भी एकाधिक प्रयास कर करोड़ों रुपये बर्बाद किये जा चुके हंै। पूर्व के प्रयास इमानदारी से होते तो तय है झाबुआ जिले से साक्षरता का कलंक मिटे दो दशक बीत गए होते। किन्तु जिलों को अधिकारियों ने अपनी प्रयोगशाला बना कर कागजी घोड़े दौड़ाते हुए खूब वाह वाही लूटी। इसी वाहवाही के फेर में जिले की साक्षरता दर 50 फीसदी भी नहीं हो सकी। गेर शासकीय संगठन के माध्यम से कलेक्टर द्वारा चलाए जा रहे अ अक्षर अभियान भी या तो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगा या कलेक्टर के जिले से रवानगी के साथ ही यह अभियान भी पूर्व के अभियानों की तरह धरातल से गायब हो जाएगा। हालांकि अ अक्षर अभियान का उद्देश्य हो या पूर्व में चले अभियानों की बात करें सभी का उद्देश्य तो किसी भी तरह जिले को साक्षर कराने की रही। किन्तु भ्रष्टाचार की दीमक इन अभियान को चट करती रही। शिक्षा के क्षेत्र के अभियान जिले की भौगोलिक, सामाजिक, तथा रोजगार स्थिति को देख न बना कर योजना भोपाली वातानुकूलित दरबारों में बैठ कर क्रियान्वित किये जाने का परिणाम भी जिले में लागू की गई योजनाओं को पलीता लगाने में अहम भूमिका निभाती है। कोरोना काल हो या इससे पूर्व का या वर्तमान शैक्षणिक सत्र प्रति वर्ष बच्चे स्कूल त्यागते और इन्हें पुन: भर्ती हेतु भी प्रयास होते। किन्तु लापरवाही के चलते नतीजा ऊंट के मुह में जीरा के सामने आता है। रोजगार के अभाव में बड़ी संख्या में जिले से पलायन होता और पालक अपने बच्चों को साथ ले जाते और बच्चे भी अपने माता पिता के कार्यों में हाथ बंटाते जिससे पारिवारिक आय में बढ़त होती और इधर स्कूलों में उपस्थिति न के बराबर होती। इसी के चलते पूर्व में पलायन स्कूल भी खोले गए। जिसकी सफलता अभी दिन में तारे देखने जैसी ही लग रही है। यही स्थिति एक गल्र्स एजुकेटेड गल्र्स गेर शासकीय संगठन द्वारा शुरू किए गए अ अक्षर अभियान की है। अभियान के तहत 18 वर्ष से अधिक आयु के निरक्षरों को साक्षर करना। किंतु समस्या यह कि इस आयु के तो ठीक इससे कम आयु वर्ग के किशोर दो जून की रोटी की तलाश में या तो अन्यत्र पलायन कर जाते या अपने क्षेत्र में ही अल सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक दिहाड़ी करने चले जाते हैं। ऐसे में 18 वर्ष से अधिक आयु के लोग शाम 4 से 6 में 2 घंटे साक्ष्य होने की पहुंच पायेंगे यह तो शायद गेर शासकीय संगठन और कलेक्टर ही अवगत करवा सकते। जिले के जिन तीन विकासखंडों के 50-50 गांव का चयन किया है। वहां जानकारी आनुसार 15 अगस्त से साक्षरता अभियान शुरू हो चुका है। जिसके लिए कार्यालय कलेक्टर (जिला शिक्षा केंद्र) से आदेश क्रमांक/जिशके/साक्षर अभी./2021/140 आदेश जारी हो चुके हैं। एक माह से अधिक का समय हो चुका परन्तु जवाबदारों के पास साक्षरता का प्रतिशत कितना हो जाएगा का जवाब नहीं है। कारण स्पष्ट है कि योजना जिले की सरजमी को न देख वातानुकूलित कक्षों में बनी। जिस जिले में शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में भ्रष्टाचार की दीमक जड़े जमा चुकी उस क्षेत्र में एक और अभियान की कामयाबी समय ही तय करेगी।

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