कोर्ट ने कहा आरोपी को रियायत नहीं, सजा देना न्यायोचित
उज्जैन,अग्निपथ। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में फर्जी नियुक्ति पत्र देकर नौकरी के नाम पर लाखों की ठगी के करीब 9 साल पुराने केस में सोमवार को कोर्ट ने फैसला सुनाया। उन्होंने दोषी को पांच साल कैद व अर्थदंड दिया है। प्रकरण में सजा में रियायत की अपील कोर्ट ने यह कहकर नामंजूर कर दी कि दोषी ने बेरोजगारों की न नौकरी लगवाई और ना ही राशि वापस की।
पुलिस रिकार्डनुसार संतोष बेनर्जी व देवेन्द्र ने विष्णु चौहान को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी गंभीर जल परियोजना में स्टेनों बनाने का झांसा देकर राजेश उर्फ राजा पुत्र पदमसिंह उर्फ परमानन्द कुशवाह, (45) निवासी शास्त्री नगर से मिलवाया। राजा व शैलेंद्र ने उससे ढाई लाख रुपए व शिक्षा संबंधी दस्तावेज लेकर वर्ष 2012 में मुख्य अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग इन्दौर कार्यालय से आदेश बताते हुए नियुक्ति पत्र दे दिया।
बाद में 7 मई 2012 को राजा ने विष्णु को ऑफिस बुलाया फील्ड का काम सीखने के बाद स्टेनो बनाने का कहा और 7 मई से 21 जुलाई 2012 तक काम करवाया। बाद में शैलेन्द्रसिंह को अफसर बताते हुए मिलाकर कहा बाकी के डेढ़ रुपये दे दो ऑफिस में बिठा देंगे। बाद में न नौकरी लगी और भुगतान भी नहीं किया। धोखाधड़ी का पता चलने पर रुपए वापस मांगे तो कालू व पप्पू नामक गुण्डों से धमकी दिलवाई दी। मजबूरन विष्णु ने 1 मार्च 2013 को देवासगेट थाने में शिकायत कर दी। जांच में आरोप सहीं पाए जाने पर पुलिस ने केस दर्ज कर दिया।
मामले में सुनवाई के बाद सोमवार को नवम अपर सत्र न्यायाधीश अंबुज पाण्डेय ने फैसला सुनाया। उन्होंने राजा को दोषी सिद्ध होने पर पांच साल कैद व पांच हजार रुपए अर्थदंड दिया। प्रकरण में शासन की ओर से एजीपी रवीन्द्र सिंह कुशवाह ने पैरवी की।