भोपाल. आईटी कंपनी विप्रो के चेयरमैन रहे अजीम प्रेमजी का फाउंडेशन बेंगलुरू के बाद अपनी दूसरी यूनिवर्सिटी भोपाल के कान्हासैया में खोलने जा रहा है। भोपाल विकास योजना क्षेत्र के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी नजूल निर्वतन समिति ने फाउंडेशन को 99 साल की लीज पर 20.234 हेक्टेयर देने पर सहमति दे दी है। नगरीय विकास विभाग और उच्च शिक्षा विभाग भी सहमति दे चुके हैं। अब मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद इसके आदेश जारी हो जाएंगे। सरकार बाजार दर से 25% राशि पर जमीन देने को तैयार है।
यह प्रयास भी किए जा रहे हैं कि दिसंबर 2020 से पहले यूनिवर्सिटी का काम शुरू हो जाए। फिलहाल जमीन की कीमत करी 13 करोड़ रुपए है। नगरीय विकास विभाग जमीन का लैंडयूज बदलेगा। उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव अनुपम राजन का कहना है कि मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी, इंस्टीट्यूट ऑफ न्यू इकॉनोमिक थिंकिंग (आईएनईटी) और एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट मैसूर समेत कई जाने-माने संस्थान इसके सहयोगी हैं। इस यूनिवर्सिटी के शुरू होने के बाद एजुकेशनल मैप पर भोपाल का नाम देश में दिखाई देने लगेगा। फाउंडेशन के संबंध में भी यह बड़ी बात है कि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन की जा रही है।
पहले वाल्मी के पास वाली जगह हुई थी चिन्हित: कान्हासैया से पहले वाल्मी के पास वाली जगह को चिन्हित किया गया था। अजीम प्रेमजी फाउंडेशन को जितनी जगह चाहिए थी, इसमें कुछ जमीन फॉरेस्ट के हिस्से वाली थी। लिहाजा बदली गई।
‘मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी ने जमीन देने पर सहमति दे दी है। कुछ प्रक्रिया के बाद आदेश जारी होंगे।’ – मनीष रस्तोगी, प्रमुख सचिव, मुख्यमंत्री व राजस्व
पहले रायपुर तय था, एक बैच जूनियर से भोपाल ले आए मुकर्जी
यूनिवर्सिटी पहले रायपुर में खोलना तय था। इसमें सीईओ व वाइस चांसलर अनुराग बेहार हैं जो मप्र के पूर्व सीएस (नवंबर 1995 से जनवरी 1997 तक) शरदचंद्र बेहार के पुत्र हैं। शरदचंद्र 1961 बैच के मप्र कैडर के आईएएस रहे। मप्र सरकार में पीएस व 1993 बैच के आईएएस अनिरुद्ध मुकर्जी को जब पता चला तो उन्होंने अनुराग से बात की। अनुराग अनिरुद्ध के एक बैच जूनियर रहे। मुकर्जी ने तुरंत राज्य स्तर पर भी प्रमुख लोगों से बात की। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने मदद की।