रुनीजा (बडऩगर), अग्निपथ। देवउठनी ग्यारस पर सोमवार से चार माह बाद शुभ कार्यों के शुभारंभ अवसर पर जगह जगह तुलसी विवाह के आयोजन हुए। इसके तहह रुनीजा में सुंदर बाई चावड़ा परिवार द्वारा पांच दिवसीय तुलसी विवाह उत्सव धूमधाम से मनाया गया। जिसमें विवाह की सभी रस्में परिवार के सदस्य सोहन बाई, शांतिबाई, कंचनबाई, कैलाश चावड़ा, भेरूलाल चावड़ा, विमल चावड़ा, पूजा चावड़ा आदि ने अलग – अलग प्रकार से पुरी की।
आस्था का ऐसा उदाहरण कि 80 वर्षीय सुंदरबाई पति स्व. चंपालाल चावड़ा ने माता तुलसी के विवाह का सोचा और उक्त विवाह में उत्साह के साथ 2 लाख से अधिक खर्च कर इस आयोजन को भव्य रुप दिया। भगवान के इस ब्याह के लिए उन्होंने अपनी जमीन बेचकर विवाह और कन्यादान की रस्म निभाई।
माता तुलसी के दुल्हे के रूप में बडऩगर गुजराती रामी माली समाज मंदिर से भगवान कृष्ण को बरात लेकर आने का विधि विधान से निमंत्रण दिया गया। जिसके चलते शुभ घड़ी में बडऩगर से भगवान कृष्ण, भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश सैकड़ों बारातियों के साथ रथ में सवार होकर धूमधाम से रुनीजा पहुंचे।
जहां गुजराती रामी माली समाज धर्मशाला पर सामाजिक कार्यकर्ता जगदीश डोडिया, सत्यनारायण चावड़ा, कैलाश परमार, बगदीराम परमार, संजय परमार, नानूराम राठौर, गुलाब टांक सहित चावड़ा परिवार ने भगवान कृष्ण का पूजन आरती कर बारातियों का स्वागत किया। बारात के रूप में बैंड बाजे के साथ धूमधाम से ग्राम के प्रमुख मार्गो शोभायात्रा से निकली। जिसका कई परिवारों , ग्रामीणों और संस्थाओं ने पुष्प वर्षा कर जगह जगह भव्य स्वागत किया। बरातियों की अगवानी पुष्प वर्षा के साथ की गई वहीं भगवान ने शुभ मुहूर्त में तोरण मारा।
वैदिक मंत्रों के साथ पंडित महेश शर्मा द्वारा भगवान कृष्ण और माता तुलसी का पानी ग्रहण संस्कार समारोह संपन्न करवाया। पश्चात विदाई की रस्म पुरी की।
अपने आप को धन्य किया
सुंदर बाई ने बताया कि उनके पति की मृत्यु के बाद उनका एकांकी जीवन जैसे-तैसे कट रहा था और 5 बीघा जमीन में से 3.30 बीघा जमीन बेचकर कुछ पति के कार्यक्रम में लगाने के बाद शेष राशि से उन्होंने माता तुलसी के विवाह के बारे में सोचा। समाजजनों से चर्चा कर देव उठनी ग्यारस के दिन भगवान कृष्ण और माता तुलसी के विवाह का आनन्द लेकर अपने आप को धन्य किया।