ऊंचे-ऊंचे बेरिकेड्स भक्त-भगवान के बीच बाधक बने, 50 से अधिक जगह रंगोली सजाई
उज्जैन। कार्तिक अगहन मास में सोमवार को निकली भगवान महाकाल की शाही सवारी में श्रावण की सवारी जैसा उल्लास नजर आया। अवंतिकानाथ के स्वागत में प्रजाजनों ने सवारी मार्ग पर फूल बिछाए। अवंतिकानाथ के दर्शनों के लिए विराट आस्था नतमस्तक नजर आई।
सवारी मार्ग पर सैकड़ों भक्त भगवान की एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़े। वहीं जगह जगह सडक़ पर सवारी के आगमन से पूर्व पुष्प की कारपेट बिछाकर स्वागत किया गया। कुल मिलाकर कोरोना से हटी पाबंदियों के बाद श्रद्धालुओं को पहली बार इस तरह शाही सवारी देखने का मौका मिला।
दोपहर 4 बजे मंदिर के सभामंडप में कलेक्टर आशीषसिंह और प्रशासक की गैरमौजदगी के चलते पुजारी घनश्याम शर्मा ने भगवान महाकाल के चंद्रमौलेश्वर रूप के पूजन की पंरपरा निभाई। पश्चात एडीएम संतोष टैगोर, एडीशनल एसपी अमरेन्द्रसिंह सहित सहायक प्रशासक सहायक प्रशासक पूर्णिमा सिंघी, मूलचंद जूनवाल, प्रतिक द्विवेदी, पीए अनुराग चौबे ने पालकी को कंधा देकर नगर भ्रमण की ओर रवाना कराया। मुख्य द्वार पर सशस्त्र बल की टुकड़ी ने राजाधिराज को सलामी दी।
इसके बाद कारवां शिप्रा तट की ओर रवाना हुआ। सवारी में सबसे आगे मंदिर का रजत ध्वज निकला। महाकाल मंदिर से शुरू होकर सवारी, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी, रामानुजकोट होते हुए मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंची। यहां पुजारियों ने शिप्रा जल से भगवान महाकाल का अभिषेक कर पूजा अर्चना की।
पूजन पश्चात सवारी राणोजी की छत्री के रास्ते गणगौर दरवाजा, कार्तिक चौक, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, मिर्जा नईम बेग मार्ग, छोटा तेलीवाड़ा, कंठाल, सतीगेट, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए पुन: शाम 6.45 बजे मंदिर पहुंची।
मुख्य द्वार सहित 50 जगह रंगोली सजाई
महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार के सामने महाकाल घाटी पर एक बड़ी आकर्षक रंगोली सजाई गई थी। जोकि मुख्य आकर्षण का केन्द्र बनी हुई थी। वहीं महाकाल घाटी के उतार पर भी रंगोली सजाई गई थी।
इसी तरह रामघाट सहित पूरे सवारी मार्ग पर 50 जगहों पर रंगोली सजी हुई थी जोकि सवारी के आगमन का संकेत दे रही थी। महाकालेश्वर मंदिर के ई रिक्शा में रंगोली विभिन्न रंगों की बोरियां रखकर पूरे सवारी मार्ग पर चलाकर सजाई गई।
सडक़ पर पुष्पों की कारपेट-पुष्पवर्षा कर स्वागत
भगवान महाकाल की सवारी का जगह जगह रास्तों पर फूलों की कारपेट बिछाकर स्वागत किया गया। प्रशासन ने भी श्रद्धालुओं को भगवान की पालकी स्वागत करने के लिए किसी भी प्रकार की रोकटोक नहीं की।
सतीगेट पर तो सवारी का कारपेट बिछाकर और जोरदार पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। कार्तिक चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार पर भी पुष्पवर्षा कर सवारी का जोरदार स्वागत हुआ।
बेरिकेड्स के पीछे से दर्शन करने की लालसा

भगवान महाकाल की शाही सवारी की एक झलक पाने के लिए लोगों ने रोक के लिए बनाए गए बेरिकेड़स के पीछे खड़े होकर भगवान चंद्रमौलेश्वर के दर्शन किए। पुलिस और एसएफ के गार्डस इन बेरिकेड्स की निगरानी करते नजर आए। किसी को भी अंदर नहीं आने दिया जा रहा था। जितने लोग पालकी के साथ चल रहे थे, उतने ही मौजूद थे।
गुदरी चौराहा पर महिला पुरुष श्रद्धालुओं का जत्था भगवान की पालकी के इंतजार में काफी समय पहले से ही खड़ा हो गया था। यही हाल पूरे सवारी मार्ग पर नजर आया। लोगों ने बेरिकेड्स के पीछे भी बड़ी संख्या में जमा होकर भगवान की शाही सवारी के दर्शन के लिए पलक पावड़े बिछा दिए।