व्यापारी हम्माली के रेट बढ़ाने को तैयार नहीं
उज्जैन, अग्निपथ। कृषि उपज मंडी में एक बार फिर से माहौल गर्माने लगा है। हम्मालों ने रेट में पचास फीसदी बढ़ौत्री की मांग की है। वहीं व्यापारी रेट बढ़ाने के लिए तैयार नहीं है। आठ दिन में दो मीटिंग हो चुकी हैं। दोनों ही मीटिंग में कोई फैसला नहीं निकाला है। अब फिर से अफसरों के सामने अनाज तिलहन संघ के पदाधिकारी और हम्माल, तुलावटी संघ के पदाधिकारी बैठेंगे और फैसला करेंगे।
अनाज तिलहन संघ के पदाधिकारी की संगठन के कार्यालय में शुक्रवार की देर रात तक बैठक चली। भारी हंगामेदार बैठक में व्यापारियों ने अध्यक्ष गोविंद खंडेलवाल के सामने अपना पक्ष रखा। उन्होंने खंडेलवाल को बताया कि क्यों वे रेट बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। गर्मा-गर्म बहस और पक्ष विपक्ष के तर्को के बीच हम्मली और तुलाई के रेट बढाने का फैसला अगली बैठक में लेने का निर्णय लिया गया है।
इस संबंध में सचिव अनिल गर्ग रामजी का कहना है कि व्यापारी अभी रेट बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। संगठन से अंतिम फैसला नहीं लिया है। फैसला लेने के लिए एक बैठक और बुलाई जाएगी। इसमें सभी के मत के बाद फैसला लिया जाएगा।
बैठक में गोविंद खंडेलवाल, अभिषेक जैन, मनीष जैन गावड़ी, अनिल गर्ग रामजी, घनश्याम मारू, दीपक लाठी, संतोष गर्ग, मुकेश हरभजनका, उमेश जैन, राजेश बंसल, अनिल जैन शेखावत, दिनेश भायल, अभिषेक विनायका, बाबूलाल सिंघल, दीपक गर्ग, क्रितेश हरभजनका आदि मौजूद थे।
पिछले शुक्रवार को दोनों पक्ष बैठे थेे आमने-सामने
मंडी में हम्मली और तुलावटी के रेट बढ़ाने के लेकर दोनों पक्ष पिछले शुक्रवार को एक साथ बैठे थे। इसमें अनाज तिलहन संघ अध्यक्ष गोविंद खंडेलवाल, सचिव अनिल गर्ग रामजी, हम्माल, तुलावटी संघ के सादिक भाई, गफ्पार भाई, सुनील मीणा, कैलाश मीणा, राजेश मीणा और मंडी सचिव उमेश बसेडिया शर्मा मौजूद थे।
इसमें हम्माली और तुलावटी के रेट में पचास फीसदी बढ़ाने पर चर्चा हुई थी। परन्तु कोई फैसला नहीं हो सका था। इसके बाद अगली बैठक में चर्चा करने का निर्णय लिया गया। सादिक भाई और गफ्फार भाई का कहना है कि पाला काटने में हम्माल और तुलावटी को सबसे अधिक मेहनत लगती है। मंडी प्रशासन को इसे बंद कराने की कई बार मांग हम्मला, तुलवाटी संघ के तरफ से की जा चुकी है।
इस दौरान हम्माल संगठन की तरफ से मंडी सचिव से सवाल किया गया था कि उज्जैन कृषि उपज मंडी संभाग की सबसे बड़ी मंडी है। इसमें इस सीजन में उपज कम क्यों आ रही है। जबकि बडऩगर तहसील की मंडी है, इसमें उज्जैन मंडी से ज्यादा उपज खरीदी जा रही है। इस मामले की जांच की जानी चाहिए।