कांग्रेस पंचायत प्रकोष्ठ ने कहा-जनता की ताकत कमतर नहीं आंके सीएम
भोपाल। पंचायत जनप्रतिनिधियों के आंदोलन के आगे अंतत: सरकार को झुकना ही पड़ा। सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्राम पंचायतों में प्रधानों को वित्तीय अधिकार लौटाने का ऐलान कर दिया। उन्होंने 12 दिन बाद ही अपना फैसला पलटते हुए कहा कि जनता की ताकत से ही सारे काम होते हैं, इसलिए प्रधानों को प्रशासकीय अधिकार लौटा रहा हूं। सीएम ने पंचायत, जनपद पंचायत और जिला पंचायत स्तर वित्तीय अधिकार लौटाने की घोषणा की।
17 जनवरी को सीएम शिवराज ने प्रशासकीय समिति और प्रधानों के साथ वर्चुअल मीटिंग ली। उन्होंने प्रधानों से कहा कि पंचायत चुनाव लेट हुए तो प्रशासकीय समिति बनाकर आपको दायित्व सौंपा था। अब पंचायत चुनाव में व्यवधान आ गया है। मेरी दृढ़ मान्यता है कि लोकतंत्र में चुने हुए जनप्रतिनिधि जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं, इसीलिए प्रशासकीय समिति के अध्यक्ष और सचिव बनाकर आपको जिम्मेदारी सौंपी थी।
शिवराज ने कहा कि गांव में समाज सुधार के आंदोलन चलाएं। सामाजिक समरसता का भाव बने। ग्रामवासी मिल-जुलकर काम करें। पंचायत चुनाव जब होंगे, तब देखा जाएगा। इसमें दो महीने का समय लगेगा या चार महीने का। सीएम ने कोरोना की तीसरी लहर से लडऩे में प्रधानों से सहयोग की अपील की। कहा कि हमें मैदान में उतरना है। पंचायत स्तर पर कोविड क्राइसिस कमेटी की जिम्मेदारी आपकी है।
दूसरी ओर मुख्यमंत्री की इस घोषणा को मध्यप्रदेश कांग्रेस पंचायत प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष डीपी धाकड़ ने जनता की जीत बताया है। मालवा क्षेत्र के चर्चित किसान नेता व रतलाम जिलापंचायत उपाध्यक्ष धाकड़ का कहना है कि सरकार अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों के अधिकारों का दमन कर रही थी। जिसका हमने पूरे प्रदेश में पुरजोर विरोध किया है। इसी का परिणाम है कि आज सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा है।
लंबे आंदोलन के बाद केंद्र ने वापस लिया कृषि कानून
गौरतलब है कि इसके पहले केंद्र सरकार को भी कृषि कानूनों के मामले में अपना फैसला बदलना पड़ा था। किसानों के लंबे आंदोलन के बाद ही केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को संसद से प्रस्ताव पारित करवा कर वापस ले लिया था।