उज्जैन, अग्निपथ। धार्मिक महत्व के सप्तसागरों में प्रमुख प्राचीन गोवर्धन सागर पर रामादल अखाड़ा परिषद की अगुवाई में 27 जनवरी से चल रहे श्रमदान अभियान का असर अब दिखने लगा है। गोवर्धन सागर की सफाई का काम 70 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है और सरोवर में अब पानी ही पानी दिखने लगा है।
रामादल अखाड़ा परिषद ने गोवर्धन सागर की सफाई के लिए 21 जनवरी से धरना आरंभ किया था। 27 जनवरी से धरना श्रमदान अभियान के रूप में परिवर्तित हो गया। उज्जैन के समस्त संत-महंत-महामंडलेश्वर यहां लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए श्रमदान अभियान की अगुवाई करते रहे।
शहर की धार्मिक क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाएं श्री क्षेत्र पंडा समिति, अखिल भारतीय पुजारी महासभा, शीतला माता भक्त मंडल, गोवर्धन सागर विकास समिति सहित सामाजिक संस्थाओं के सदस्यों ने भी अभियान में बढ़चढक़र भागीदारी निभाई। बिना प्रशासनिक सहयोग के नगरवासियों की संयुक्त मेहनत के सार्थक परिणाम अब सामने आने लगे है। अब तक घास और काई में ढंका हुआ जल बाहर दिखने लगा है।
सोमवार को कोठी पैलेस स्थित बृहस्पति भवन में दीपोत्सव के आयोजन को लेकर एक बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में रामादल अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत डा. रामेश्वरदास ने शहर की सभी संस्थाओं के पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को गोवर्धन सागर पर चल रहे श्रमदान की अब तक की गतिविधियों की जानकारी दी।
महंत डा. रामेश्वरदास ने सभी का आवाहन किया कि वे भी गोवर्धन सागर के कायाकल्प के अभियान में सहयोगी बने। इस बैठक में उच्चशिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव ने कहा कि संतो की अगुवाई में होने वाला गोवर्धन सागर का श्रमदान अतुलनीय और श्रेष्ठ कार्य है। उन्होंने इस कार्य की जमकर सराहना की।