उज्जैन, अग्निपथ। संपूर्ण विश्व महामारी के बाद एक संकट से जूझ रहा है, ऐसे में सद्भावना का मूल मंत्र ही संपूर्ण विश्व को इस चुनौती से बचा सकता है। मानवीय सेवा करना सद्भावना का एक प्रमुख अंश है और इस समय एक दूसरे का यथासंभव सहयोग और सेवा करना सच्चा धर्म है। यही वह समय है जब हमें सभी शासकीय सेवाओं और योजनाओं में सहयोग करने का दायित्व निभाना चाहिए।
वैक्सीनेशन करवाना भी एक सद्भावना है, क्योंकि वैक्सीनेशन से आप स्वयं भी सुरक्षित होते हैं एवं दूसरों को भी सुरक्षित रखते हैं । यह भी सद्भावना का एक रूप है।
उक्त विचार प्रशांति धाम के अध्यक्ष श्री के पी डोगरा ने भारतीय ज्ञानपीठ में सद्भावना स्मारिका 2021 के विमोचन प्रसंग पर मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रेमनारायण नागर ने कहा कि 19वीं अखिल भारतीय सद्भावना व्याख्यानमाला में व्यक्त विचारों को सहेजकर सद्भावना स्मारिका का विमोचन किया गया है। निश्चित रूप से यह समाज में सद्भावना की नई ज्योति प्रज्वलित करेगी।
संस्था अध्यक्ष कृष्णमंगल सिंह कुलश्रेष्ठ ने कहा कि सद्भावना स्मारिका को डिजिटल स्वरूप में भी प्रकाशित किया गया है, ताकि उसकी पहुंच अधिक से अधिक लोगों तक हो सके। स्वागत उद्बोधन अकादमिक निदेशक गिरीश पण्ड्या ने दिया। स्मारिका का संपादन संदीप कुलश्रेष्ठ , डॉ गिरीश पण्ड्या एवं नीलम महाडिक़, डॉ मेघा शर्मा ने किया। इस अवसर पर सद्भावना व्याख्यानमाला मे व्यक्त विचारों पर आधारित आलेख प्रतियोगिता के विजेताओं के रूप में प्रो.दृष्टि चावडा , प्रो. अपूर्व चौरे , श्रद्धा दुबे एवं हर्षिता वेद को पुरस्कृत किया गया। आरंभ में संस्था की शिक्षिकाओं द्वारा सर्वधर्म प्रार्थना प्रस्तुत की गई।
अतिथि स्वागत ् पुष्पा चौरसिया, शीला व्यास , संस्था की निदेशक श्रीमती अमृता कुलश्रेष्ठ ने किया। संचालन डॉ सीमा दुबे ने किया। आभार प्राचार्य डॉ नीलम महाडिक ने माना।