सिक्के निकलने के बाद होगा स्पष्ट, विक्रम विश्वविद्यालय की पुरातत्व विभाग की टीम महाकाल क्षेत्र पहुंची जांच करने
उज्जैन, अग्निपथ। बुधवार को पुरातत्व विभाग की केंद्रीय टीम द्वारा जांच करने के उपरांत गुरुवार दोपहर विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व वेत्ताओं की एक टीम महाकालेश्वर मंदिर पहुंची और खुदाई में निकले मंदिर अवशेषों की पुन: जांच की, जिसमें उस काल की काफी चीजें मिली हैं। इसमें परमारकालीन र्इंट भी शामिल है। इन सभी निकली हुई चीजों को जांच के लिए वे अपने साथ ले गए हैं।
गुरुवार की दोपहर विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग के डॉ. रमण सोलंकी, डॉ. आरके अहिरवार, डॉ. प्रीति पांडे, डॉ. रंजना गौड़, डॉ. रितेश लोढ़, डॉ. हेमंत लोदवाल फिर से मंदिर के अवशेषों की जांच करने के लिए खुदाई स्थान के अंदर पहुंचे। यहां पर उनको जला हुआ अनाज, चारकोल, यज्ञ वेदी और परमार कालीन र्इंट और हड्डियो के अवशेष मिले हैं। डॉ. सोलंकी ने बताया कि यहां पर खुदाई में परमार कालीन सिक्के भी निकल सकते हैं, जिससे स्पष्ट रूप से ज्ञात हो जाएगा कि इस दौरान किस शासक का शासन काल रहा है। यहां से जो ईंट निकली है वह चपटी और बहुत चौड़ी है।
डॉ. प्रीति पांडे ने बताया कि परमार काल में इसी तरह की चपटी और चौड़ी ईट बनाई जाती थीं। विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग के पुरातत्व वेत्ता अपने साथ निकले सभी सामग्रियों को साथ ले गए हैं।
द्वार मिला तो सब हो जाएगा हल
डॉ. सोलंकी ने बताया कि मंदिर का द्वार मिल जाए तो पूरा नक्शा ही स्पष्ट हो जाएगा। यहां पर किस प्रकार का परकोटा था, कितने देवगण शामिल हैं। भगवान गर्भगृह में विराजित हैं या प्लेटफार्म बनाकर विराजित किया गया था इस बात की पूरी जानकारी प्राप्त हो जाएगी।
सिक्के मिल सकते हैं, ध्यान रखना
उज्जैन विकास प्राधिकरण के अधिकारियों से पुरातत्व वेत्ता डॉ. रमन सोलंकी ने कहा कि खुदाई के दौरान आसपास खुदाई में सिक्के भी मिल सकते हैं। काम शुरू कर दिया गया है, लेकिन इस बात का ध्यान रखना। सिक्के से स्पष्ट रूप से जानकारी मिल जाएगी कि यहां किसके शासनकाल में मंदिर बनाया गया था। इस अवसर पर मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल, आरके गेहलोत सहित उविप्रा के अधिकारी मौजूद थे।