हिंदूवादी संगठनों की रैली पर पथराव के बाद अपराधियों पर प्रशासनिक कार्रवाई तेज हो गई। पुलिस-प्रशासन पहले से ज्यादा अलर्ट होकर अपराधियों को नेस्तनाबूद करने में जुट गया है। प्रशासन की यह कार्रवाई निश्चित ही सराहनीय है।
अपराधियों पर हमेशा ही इस तरह तुरत-फुरत कार्रवाई होना चाहिए। लेकिन इस कार्रवाई के दौरान पुलिस और प्रशासन विश्वसनीयता कायम नहीं रख पाया। जल्दबाजी में की गई कार्रवाई का एक संदेश यह भी गया कि वर्ग विशेष ही प्रशासन की कार्रवाई के निशाने पर है, कार्रवाई एकतरफा हुई है।
लोगों में भय का माहौल बन गया और क्षेत्र के कई रहवासी घर छोडक़र अन्यत्र जा चुके हैं। उन्हें भय है कि कहीं वे भी अपराधियों की फेहरिस्त में तो नहीं हैं। पुलिस-प्रशासन के लिए यह परीक्षा की घड़ी है। कानून का संदेश साफ है कि सौ दोषी भले ही बच जाएं, लेकिन एक भी निर्दोष को सजा नहीं मिलना चाहिए। पुलिस को भी इस संदेश का महत्व बरकरार रखना होगा।
इस घटना में अगर एक भी निर्दोष व्यक्ति फंस गया तो दूसरे पक्ष का कानून से विश्वास उठ जाएगा। निर्दोषों में पनपा कार्रवाई का भय किसी दिन विस्फोटक बन सकता है।