भस्म आरती सुबह 4 बजे से होगी, 9 को शरद पूर्णिमा मनेगी
उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में शीत ऋतु का आगमन होने के चलते भगवान महाकाल की चार आरतियों के समय में परिवर्तन हो जाएगा। आरती के समय में परिवर्तन का क्रम कल 10 अक्टूबर से होगा। मंदिर में रोज होने वाली भगवान की आरती के समय में कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा 10 अक्टूबर से परिवर्तन होगा। यह व्यवस्था कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से फाल्गुन पूर्णिमा तक रहेगी।
मंदिर में सर्दियों का मौसम शुरू होते ही भगवान महाकाल की दिनचर्या में परिवर्तन किया जाता है। ऐसा दो बार बदलाव होता है। मंदिर के पुजारी और मंदिर समिति सदस्य राम शर्मा ने बताया कि ठंड का मौसम शुरू होने पर कार्तिक माह व गर्मी का मौसम शुरू होने पर फल्गुन मास में मंदिर में होने वाली बाबा महाकाल की आरतियों का समय बदलता है।
वहीं भगवान को स्नान कराने की प्रक्रिया भी बदल जाती है। रूप चौदस से भगवान को गर्म जल से स्नान कराया जाता है। गर्मी व वर्षा ऋतु में मंदिर में होने वाली सुबह की दो आरती जल्दी व शाम की आरती देर से होती है।
शरद पूर्णिमा पर लगेगा दूध का भोग
श्री महाकालेश्वर मंदिर में 9 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। श्री महाकालेश्वर मंदिर में शरदोत्सव के तहत सुबह भस्म आरती में और शाम को 7 बजे भगवान महाकाल को केसरिया दूध का भोग लगाया जाएगा। भोग के बाद मंदिर में दर्शन को आने वाले दर्शनार्थियों को प्रसाद स्वरूप वितरित किया जाएगा। इसी तरह शहर के अन्य मंदिरों में भी शरद उत्सव के आयोजन होगें।
10 अक्टूबर से आरती का समय
महाकाल की रोजाना सुबह से शाम तक छह आरती होती हैं। इसमें भस्म आरती व शयन आरती के समय में बदलाव नहीं किया जाएगा। जबकि शेष चार आरती के समय में बदलाव किया जाएगा।
- प्रथम आरती भस्म आरती – प्रात: 4 से 6 बजे तक
- द्वितीय आरती दद्योदक – प्रात: 7.30 से 8.15 बजे तक
- तृतीय भोग आरती- प्रात: 10.30 से 11.15 बजे तक
- चतुर्थ संध्या आरती- सायं 6.30 से 7.15 बजे तक
- शयन आरती- रात्रि 10.30 से 11 बजे तक
- संध्याकालीन पूजन- सायं 5 से 5.45 बजे तक।