तबस्सुमजी! अखर गया तुम्हारा जाना

18 नवंबर को मखमली आवाज का जादू बिखेरने वाली 78 वर्षीय फिल्मी अदाकारा, संपादक और दूरदर्शन की उद्घोषिका तबस्सुम ने इस सांसर को अलविदा कह दिया।

उनके निधन से भारत सहित अन्य देशों के करोड़ों श्रोता शोक में डूब गये। सन् 1944 को मुम्बई में पिता अयोध्या नाथ सचदेव और माँ असगरी बेगम जो कि दोनों ही स्वतंत्रता संग्रमा सेनानी तो थे ही माता असगरी बेगम पत्रकार और लेखिका भी थी के यहाँ जन्मी तबस्सुम बचपन से ही चंचल थी। इस बिटियां नामकरण के पीछे की कहानी भी वर्तमान के लिये संदेशप्रद है। चूँकि पिता हिंदू और माँ मुस्लिम थी इसलिये बच्ची के जन्म उपरांत नाम का प्रश्न खड़ा हुआ तब पिता अयोध्या नाथ ने अपनी मुस्लिम पत्नी की भावनाओं का सम्मान करने के लिये बिटियां का नाम ‘तबस्सुम’ रखा जो कि अरबी भाषा का शब्द है। जिसका शाब्दिक अर्थ है मंदहास, मुस्कान, मंद हंसी, मुस्कुराहट, मधुर तथा हल्की हँसी, ऐसी हँसी जिसमें होंठ ना खुले और तबस्सुम का एक और अर्थ होता है ‘कलियों का खिलना’।

पति ने पत्नी की भावनाओं का ध्यान रखा था तो मुस्लिम पत्नी असगरी भी कहाँ पीछे रहने वाली थी उन्होंने अपने हिंदू पति की भावनाओं को सम्मान देते हुए बिटिया का नाम किरण बाला सचदेव रख दिया। आज जब देश में नफरत की चिंगारियां शोला बनाने को बेताब है ऐसी परिस्थिति में तबस्सुम के नामकरण की कहानी भी प्ररेणा देती है, खैर यह बालिका तबस्सुम नाम से ही भारत में प्रसिद्ध हुयी जिसने अपनी मखमली आवाज से भारतीयों के दिलों में एक अलग मुकाम हासिल किया।

मात्र 4 वर्ष की आयु में ही बेबी तबस्सुम ने एक फिल्म में अभिनय करके सबको चौंका दिया। सन् 1951 में नितिन बोस के निर्देशन में बनी फिल्म दीदार में बचपन के दिन भूला ना देना गाने पर तबस्सुम ने नरगिस के बचपन की भूमिका निभायी, फिल्म बैजू बावरा में बेबी तबस्सुम ने मीना कुमारी के बचपन की भूमिका निभायी। भारतीय दूरदर्शन के पहले टॉक शोक ‘फूल खिले है गुलशन-गुलशन’ का सन् 1972 से लेकर 1993 तक अर्थात 21 सालों तक प्रसारण किया। तबस्सुम प्रसिद्ध पत्रिका ‘गृहलक्ष्मी’ की 15 वर्षों तक संपादिका भी रही। सन् 1985 में फिल्म ‘तुम पर हम कुर्बान’ का निर्देशन भी किया जिसकी कहानी भी खुद उन्होंने ही लिखी थी।

जॉनी लीवर जैसे सुप्रसिद्ध हास्य अभिनेता को पहली बार कैमरे के सामने लाने का श्रेय भी तबस्सुम के ही खाते में जाता है। दकियानूसी विचारों से दूर रहने वाली किरण बाला सचदेव ने अरुण गोविल (रामायण में राम की भूमिका अदा करने वाले) के बड़े भाई विजय गोविल से विवाह किया। तबस्सुम का बेट होशांग गोविल भी फिल्मी दुनिया में ही कार्यरत है। 18 नवंबर को मात्र 2 मिनट में दो बार तबस्सुम को दिल का दौरा पड़ा और वह सदैव-सदैव के लिये हम सबको छोडक़र चली गयी। कुछ लोग इस दुनिया को छोड़ के जाने के बाद भी बरसों-बरस तक हमारे दिलो-दिमाग में जीवित रहते हैं शायद तबस्सुम भी उनमें से एक है जिनकी आवाज हम करोड़ों भारतीयों के कानों में लम्बे समय तक सुनायी देती रहेगी।

ओम शांति शांति

– अर्जुन सिंह चंदेल

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