धार, अग्निपथ। नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में कोर्ट ने एक युवक को दोषी करार देते हुए उसे 20 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। पीडि़ता के युवक के पक्ष में बयान देने के बाद भी कोर्ट ने चिकित्सकीय साक्ष्यों व साक्षियों के बयान के आधार पर यह फैसला दिया है।
पाक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश द्वारा 21 नवम्बर को दिए निर्णय में रवि पिता देवीसिंह, (22) निवासी ग्राम मलावदा तहसील सावेर जिला इंदौर को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5(एल)/6 पॉक्सों एक्ट में 20 वर्ष का सश्रम कारावास व 1000 जुर्माना की सजा दी। वहीं धारा 3/4(2) पॉक्सों एक्ट में 20 वर्ष का सश्रम कारावास व 1000 रू. जुर्माना के साथ भादंवि की धारा 366 भादवि में 07 वर्ष का सश्रम कारावास व 500रू. जुर्माना व धारा 363 भादवि. में 5 वर्ष का सश्रम कारावास 500रू. जुर्माना किया है। उक्त समस्त धाराओं में अर्थदंड अदा न करने पर कुल 6 वर्ष का अतिरिक्त कारावास से दण्डित किए जाने की सजा सुनाई।
जिला अभियोजन मीडिया सेल की अर्चना डांगी के मुताबिक 1 दिसंबर 2019 को पीडि़ता सुबह 8:30 बजे घर से फ्रॉक की बांह सिलाने का बोलकर गई तो दोपहर तक नहीं आयी। काफी तलाश के बाद भी नहीं मिलने पर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई। विवेचना के दौरान पिडि़ता को दस्तयाब कर उसके कथन लेखबद्ध लिए गए जिसमें पीडि़ता ने आरोपी द्वारा उसे बहलाकर भगा कर ले जाने व उसके साथ बलात्कार करने का बयान दिया था। हालांकि कोर्ट में पीडि़ता अपने बयान से मुकर गई थी।
इसके बावजूद विचारण के दौरान उक्त प्रकरण में न्यायालय के समक्ष अभियोजन द्वारा रखे गए तथ्यों एवं तर्को से सहमत होकर न्यायालय द्वारा आरोपी को चिकित्सीय साक्ष्य एवं अनुसंधानकर्ता एवं अन्य स्वतंत्र साक्षियों की साक्ष्य से सहमत होकर सजा सुनाई है। न्यायालय ने अपने निर्णय में लेख किया है कि ‘अभियुक्त के द्वारा अवयस्क बालिका के साथ घिनौना कृत्य किया है। इस प्रकार के अपराध समाज की नैतिकता को प्रभावित करते है आरोपी के कृत्य को दृष्टिगत रखते हुए दण्ड के संबंध में आरोपी के प्रति उदारता बरती जाना न्यायाचित नहीं है। मामले में विशेष लोक अभियोजक आरती अग्रवाल ने शासन की ओर से पैरवी की।