स्लॉट बदलने के दौरान एक दर्शनार्थी को दो बार कर रहा था काउंट
उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में 1500 रुपये टिकट प्रदाय करने के लिये जब से साफ्टवेयर का उपयोग किया जाने लगा, तब से लेकर आज तक इस व्यवस्था में लगे मंदिर कर्मचारियों को हजारों रुपये की चपत लग चुकी है। अभी हाल ही में तीन से चार दिन पहले 3 हजार रुपये कर्मचारियों को भरने पड़े थे। लेकिन जब आईटी शाखा सेे साफ्टवेयर की पड़ताल कराई गई तो गलती पकड़ में आई। कर्मचारी अपनी जेब से अभी तक हजारों रुपये जमा कर चुके हैं।
महाकालेश्वर मंदिर में विगत नवम्बर माह से 1500 रुपये गर्भगृह प्रवेश की टिकट प्रदाय करने के लिये साफ्टवेयर लगाया गया था। इसकी सहायता से श्रद्धालु का फोटो, क्यूआर कोड, नाम पता, आईडी दर्ज कर टिकट दिया जा रहा था। जिसके चलते काफी हद तक टिकट की दलाली पर अंकुश लग गया था। इसके लिये प्रोटोकाल कार्यालय में तीन विंडो और महाकाल लोक में एक विंडो लगाया गया था। यहां से प्रतिदिन सामान्य दिनों 650 और रविवार-सोमवार के दिन लगभग 750 श्रद्धालु दर्शन कर रहे थे। यह टिकट 1500 में दो और एक दर्शनार्थी को 750 रुपये में प्रदाय किया जा रहा है। प्रतिदिन सुबह 6 से लेकर दोपहर 1 बजे तक इस टिकट से गर्भगृह दर्शन कराये जा रहे हैं।
कर्मचारियों को लगी हजारों की चपत
जब से इस साफ्टवेयर से काम शुरू किया गया, तब से कर्मचारियों को गिनती में एंट्री अधिक और रुपये कम निकल रहे थे। इसको कर्मचारियों ने पैसा लेते समय गलती मानते हुए अपनी जेब से भर दिया। इसके बाद चार से पांच बार के लगभग कर्मचारियों को गिनती में रुपये कम निकलने का खामियाजा अपनी जेब से रुपये भरकर चुकान पड़ा। हाल ही में तीन दिन पहले 3 हजार रुपये काउंटिंग के दौरान कम निकले। इसके बाद कर्मचारियों ने साफ्टवेयर पर शक जताया और आईटी शाखा में साफ्टवेयर का परीक्षण कराया। इस दौरान सीसीटीवी फुटेज भी देखे गये।
मुख्य साफ्टवेयर में काउंटिंग
1500 की टिकट प्रदाय करने के लिये चार विंडो प्रोटोकाल कार्यालय पर संचालित की जा रही हैं। दोपहर 12 बजे तक टिकट प्रदाय किये जाते हैं। भीड़ अधिक होने पर इस समय से भी पहले विंडो को बंद कर दिया जाता है। चारों साफ्टवेयर की काउंटिंग एक मुख्य कम्प्यूटर में की जाती है। इसके बाद कितनी टिकट उस दिन विक्रय किये गये इसका आंकड़ा आ जाता है। इस हिसाब से रुपयों की गिनती की जाती है।
बिना प्रशिक्षण के बैठाया
आऊटसोर्स कंपनी केएसएस के माध्यम से वर्तमान में कम्प्यूटर आपरेटरों की भर्ती की जा रही है। मोबाइल काउंटर संभालने और 1500 रु. के टिकट काउंटरों को संभालने के लिये इनको भर्ती किया जा रहा है। लेकिन इनको जब तक प्रशिक्षण नहीं दिया जायेगा, तब तक यह कार्यकुशलता को प्राप्त नहीं कर सकेंगे। बिना प्रशिक्षण के इनको फील्ड में उतार दिया गया है।
ऐसे हुई गलती: एक टिकट की डबल एंट्री
दर्शनार्थियों को समय स्लॉट के हिसाब से टिकट प्रदाय किये जाते हैं। एक-एक घंटे का समय स्लॉट साफ्टवेयर में दर्ज है। लिहाजा स्लॉट समय चेंज होने के दौरान कम्प्यूटर आपरेटर दर्शनार्थी की जब एंट्री करता है तो टिकट रुक जाता है। लिहाजा आपरेटर फिर से दूसरे स्लॉट में उसी श्रद्धालु की एंट्री कर रहा था। जिसके चलते एक दर्शनार्थी का नाम दो बार कम्प्यूटर में दर्ज हो रहा था। ऐसे में काउंटिंग के दौरान कर्मचारियों को टिकट की संख्या अधिक और रुपये कम निकल रहे थे। ऐसे में उनको अपनी जेब से बाकी बचे पैसे जमा करना पड़ रहे थे।