उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन कलेक्टर द्वारा खेतों में नरवाई जलाने पर हाल ही में प्रतिबंध आदेश जारी किया है। धारा 144 के तहत जारी आदेश के जरिए किसानों को चेतावनी दी गई है कि यदि उन्होंने खेतों में नरवई जलाई तो किसानों पर प्रतिबंध आदेश के उल्लंघन के तहत कार्यवाही की जाएगी। कलेक्टर के इस आदेश के खिलाफ हजारों की संख्या में किसानों ने सोशल मीडिया के जरिए अपना आक्रोश जाहिर किया है।
जिला प्रशासन के अधिकृत सोशल मीडिया एकाउंट पर जैसे ही इस प्रतिबंध आदेश की सूचना वायरल की गई, किसानों ने इस पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं दी। भारतीय किसान संघ भी इस मामले में मैदान में आ गया है। भारतीय किसान संघ के प्रांत मंत्री भारत सिंह बैस ने चेतावनी दे डाली कि प्रशासन किसानों पर मुकदमे दर्ज करके बता दे, फिर हमारा आंदोलन भी देखने के लिए तैयार रहे।
कैसे निपटे इस समस्या से
- फसल कटने के बाद मौजूद नरवई का अधिकांश हिस्सा नई आई मशीनों के जरिए काटकर उसका भूसा बना दिया जाता है। जो शेष रह जाता है, उसे नष्ट करने के लिए दूसरा कोई विकल्प ही मौजूद नहीं है।
- चैंबर में बैठकर अधिकारी व्यवहारिक जानकारी के अभाव में बेतरतीब आदेश जारी करते है। नरवई को नष्ट करने के लिए विकल्प क्या होगा, इस पर कोई बात नहीं करता।
- बड़ी मात्रा में भूसा तैयार होने पर उसे खरीदने की भी कोई व्यवस्था सरकार की ओर से नहीं की गई है। सरकार चाहे तो गौ-शालाओं के लिए किसानों से भूसा खरीद सकती है।
ऐसी भी आई प्रतिक्रियाएं
- किसान आंदोलन के वक्त किसानों और केंद्र सरकार के बीच इस पर समझौता हो चुका था। अब कलेक्टर साब अपने नए नियम अलग से क्यों थोंप रहे है।
– राहुल जाट, ग्वालवा - बिजली के तार खेतों में इतने नीचे है कि उनकी वजह से यदि आग लगी तो क्या कलेक्टर साहब, बिजली कंपनी वालों पर केस दर्ज करवाएंगे। – मानसिंह गुर्जर
- यूरिया वितरण के वक्त कलेक्टर कहां थे। तब एक-एक बोरी के लिए किसानों को तीन-तीन दिन कतार में खड़ा रहना पड़ा। – शांतिलाल प्रजापत
- खेतों में नरवई से प्रदूषण होता है तो उद्योगों की चिमनियों से क्या ऑक्सीजन निकलती है। पहले नरवई नष्ट करने का विकल्प तो लेकर आओ। – कृष्णपाल सिंह