रोते हुए प्रहरी बोला कैसे करुंगा बेटी की शादी, बिना जेल अधीक्षक को हटाए नहीं हो सकती निष्पक्ष जांच
उज्जैन,अग्निपथ। केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में डीपीएफ (डिपार्टमेंटल प्रोविडेंट फंड) घोटाला में कई एजेंसी जांच कर रही है,लेकिन इस कांड ने कई कर्मचारियों के सपनों पर पानी फैर दिया। ऐसे ही कुछ पीडि़तों ने मंगलवार को रोते हुए अपनी व्यथा सुनाई। कहा कि जेल अधीक्षक उषाराज को हटाए बिना निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती। मामले मेें नई बात सामने आई कि गबन के लिए कर्मचारियों के रिकार्ड में मोबाईल नंबर बदल दिए गए थे। हालांकि मामले की जांच के लिए एसएसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल ने भी टीम गठित की है।
भैरवगढ़ जेल में धांधली करीब 2020 से चल रही थी और ठगों का अधिकांश शिकार उज्जैन और बडऩगर उप जेल के कर्मचारी हुए है। गबन की राशि 12 करोड़ से बडक़र 14 करोड़ तक पहुंच गई है। सर्वविदित है कर्मचारियों द्वारा बिना आवेदन दिए और जेल अधीक्षक के हस्ताक्षर के बिना राशि निकलना संभव नहीं,बावजूद कर्मचारियों के खातों से राशि निकलती रही। खास बात यह भी है कि खातेदारों को मोबाईल पर मैसेज तक नहंी आते थे। वजह कर्मचारी रिपूदमन और उसकी गैंग ने नकली नाम से करीब 100 सीम लाकर रिकार्ड में कर्मचारियों के मोबाईल नंबर बदल दिए थे।
नतीजतन कर्मचारियों को राशि निकलने की सूचना नहीं मिलने से वह बिंदास होकर गबन करता रहा। इधर भोपाल से डीआईजी मंशाराम पटेल के नैत्रत्व में आई पांच सदस्यीय टीम सोमवार रात से दस्तावेज खंगालने के बाद दोपहर में ट्रैजरी पहुंची। डीआईजी पटेल ने माना कि गबन चार साल से चल रहा है और राशि 14 करोड़ तक पहुंच चूकी है।
ट्रेजरी भी संदेह के घेरे में
बताया जाता है कर्मचारियों के खातों से रुपए निकलने के साथ जेल के बिल पेमेंट के नाम भी मोटी राशि निकली है। लगातार बड़ी रकम विड्रा होने के बाद भी ट्रेजरी के अधिकारियों ने जेल से कभी क्रास चेक का प्रयास नहीं किया। वहीं अन्य खातों में रुपए ट्रांसफर होने पर भी बैंक ने विभाग या कर्मचारियों से संपर्क नहीं किया। यहीं वजह है कि दोनों जगह के जिम्मेदार शंका के घेरे में है। हालांकि अधिकारी दावा कर रहे है कि रिपूदमन के पकड़ाने पर सभी राज खुल जाएंगे।
बेटी की शादी करु या ..
मेरी सात बेटी है। पांच की शादी कर चूका हॅू। छोटी बेटी की शादी तय होने पर डीपीएफ से रुपए निकालने वाला था। दो दिन पहले पता चला कि डीपीएफ से पूरी राशि गायब हो गई। अब मै क्यां कर सकता हूं, समझ में नहीं आ रहा क्या करू। पूरे स्टॉफ के सामने मंगलवार दोपहर रोते हुए यह पीढ़ा व्यक्त की है जेल प्रहरी गणपत सूर्या ने।
दो दिन से रो रही उषा
डीपीएफ में से कितनी राशि निकली पता नहीं,लेकिन मेरा तो दो माह का वेतन भी चला गया। अब क्यां होगा पता नहीं। गबन का पता चलने के बाद से ही रो रही महिला जेल प्रहरी उषा कौशल को सभी सांत्वना दे रहे है, लेकिन उनका रोना रूक ही नहीं रहा। इसी तरह कर्मचारी सुरेश मरमट के खाते से 17 अप्रैल 2022 को 14 लाख रुपए निकल गए,जबकि उन्होंने भी आवेदन नहीं दिया था।
जेल अधीक्षक के रहते निष्पक्ष जांच नहीं
मैने केेंसर के ईलाज के लिए ९० प्रतिशत डीपीएफ निकलना चाहता था, लेकिन पूरा पैसा नहीं मिलने पर 23 मार्च 22 को 1.68 लाख ही निकालना और शेष कर्ज लेक ईलाज कराया। बाद में दो बार में 19 लाख रुपए निकल गए। मैडम के रहते िनष्पक्ष जांच नहंीं हो सकती यह कहना है कर्मचारी गोवर्धनसिंह रधूवंशी का।
मोबाईल पर नहीं आया मैसेज
मेरे खाते से 10 लाख रुपए निकल गए और मोबाईल नंबर चेंज होने के कारण मुझे मैसेज तक नहीं मिला। अब खाते की डिटेल नहीं निकल रही है। मामले में जो भी दोषी हो उसे सजा मिलना चाहिए,लेकिन जेल अधीक्षक उषाराज के रहते निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती। यह कहना है जेल के सफाईकर्मी मोहनलाल करोसिया का।
विधानसभा में उठेगा जेल का घोटाला
केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में हुए 13 करोड़ रूपए के घोटाले का मामला जल्द ही विधानसभा में भी उठेगा। मंगलवार को तराना के विधायक महेश परमार ने इस मामले में विधानसभा सचिवालय में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लगाया है। ध्यानाकर्षण में विधायक महेश परमार ने लिखा है कि भैरवगढ़ जेल में पदस्थ कर्मचारी रिपुदमन सिंह ने अधिकारियों से मिलीभगत कर जेल में अनियमितता व फर्जी भुगतान कर करोड़ो का गबन कर डाला है। जेल में इतना बड़ा घोटाला किए जाने के बावजूद दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही नहीं किए जाने को लेकर जेलकर्मी व आम जनता में असंतोष व्याप्त है।
मामले की जांच के लिए एएसपी इंद्रजीत बाकल व सीएसपी अनिल मोर्य के नेत्रत्व में टीम गठित की है। इसमें मोबाईल के एंगल की भी जांच कर रहे है। आरोपी को तलाश रहे है। अभी अन्य किन लोगों की भूमिका है बता नहीं सकते।
– सत्येंद्र कुमार शुक्ल, एसएसपी