जेलकर्मियों ने परिवार के साथ दिया धरना, अधीक्षक के खिलाफ लगाए नारे

डीपीएफ घोटाले की जांच रिपोर्ट आज जेल डीजी को सौंपेंगे, अधीक्षक की रवानगी तय

उज्जैन,अग्निपथ। केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में हुआ डीपीएफ कांड शासन के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है। मामले में बुधवार को जेलकर्मी परिवार के साथ जेल अधीक्षक उषाराज को हटाने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए। वहीं कांग्रेस के चार विधायकों ने भोपाल में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को ज्ञापन दिया तो स्थानीय नेता जेल पहुंच गए। इधर तीन दिन से चल रही जांच के बाद जेल डीआईजी मंशाराम पटेल गुरुवार का डीजी अरविंद कुमार को रिपोर्ट सौंपेंगे।

केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में 1० मार्च को तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की करोड़ों के डीपीएफ राशि का घोटाला सामने आया था। मामले में केस दर्ज होते ही जेल में लेखा जोखा संभालने वाला प्रहरी रिपूसुदन परिवार सहित फरार हो गया था। कलेक्टर कुमार पुरषोत्तम से घटना की सूचना मिलते ही भोपाल से जेल विभाग और कोषालय की टीम ने भी जांच शुरू कर दी। पता चला उज्जैन जेल व बडऩगर उपजेल के करीब १०० कर्मचारियों के खाते से २०२० से अब तक लगभग १४ करोड़ रुपए निकले है।

राशि निकालने के आवेदन की मंजूरी का अधिकार जेल अधीक्षक जो कि डीडीओ भी है और उन्हीं की आईडी पासवर्ड यूज कर गबन किया गया है। इसलिए कर्मचारी उनके रहते निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती का दावा करते हुए बुधवार को कर्मचारी सुरेश मरमट,गोवर्धनसिंह रघुवंशी, मोहनलाल करोसिया व अन्य ने परिवार के साथ जेल परिसर में ही धरने पर बैठ गए और अधीक्षक उषाराज को हटाने की मांग कर उनके खिलाफ नारेबाजी की। हालांकि टीआई प्रवीण पाठक व एसआई बल्लू मंडलोई ने नष्पक्ष जांच कर दोषियों को पकडऩे का वादा करने पर वह शाम पांच बजे धरना खत्म कर उठ गए।

रिटायर्ड जज से जांच की मांग

घोटाले को लेकर कांग्रेस ने भाजपा को घेरना शुरू कर दिया। इसी के चलते भोपाल में विधायक महेश परमार, मुरली मोरवाल व दो विधायकों ने गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को ज्ञापन दिया। उन्होंने गबन कांड में जेल अधीक्षक व ट्रैजरी के अधिकारियों को भी लिप्त बताकर मामले की जांच रिटायर्ड जज व राज्य स्तरीय अधिकारियों से करवाने की मांग की। इधर शहर में भी कांग्रेस ने घोटाले का विरोध किया और जेल पहुंचकर डीआईजी पटेल को ज्ञापन दिया। याद रहे विधायक परमार ने विधानसभा में भी घोटाले को लेकर प्रश्न पूछा है।

गबन में नाम आते ही फरार

सबसे रोचक पहलू यह है कि घोटाले का खुलासा होते ही मुख्य आरोपी रिपूसुदन जेल अधिक्षक के सामने रोया तो उसे भागने का मौका दे दिया। वहीं जांच के दौरान प्रहरी शैलेंद्र सिकरवार व धर्मेद्र लोधी के खाते में १० करोड का ट्रांजेक्शन सामने आते ही दोनों भी मंगलवार को फरार हो गए। मतलब नाम आते ही उन्हें पता चल गया। इससे लगता है कि गबन में जांच में शामिल बड़े स्तर के अधिकारी भी शामिल है।

समझाईश के बाद भी खजाने की चाबी सौंपी

जेल अधिकारियों की माने तो हर मीटिंग में समझाईश दी जाती है कि आईडी पासवर्ड खजाने की चाबी है इसे किसी भी हाल में दूसरों को मत देना,लेकिन जेल अधीक्षक उषाराज ने बात नहीं मानी। इसलिए अब वह जि मेदारी से बच नहीं सकती। हालांकि गड़बड़ी वर्ष २०२० से चल रही है। उस समय जेल अधीक्षक अलका सोनकर थी। इसलिए उनसे भी पूछताछ होगी, लेकिन बड़ी रकम सितंबर २०२१ में उषाराज के आने के बाद निकली है। सूत्रों की माने तो शुक्रवार तक उषा  को हटाकर नए जेल अधीक्षक का नाम तय हो सकता है।

गबन से संबंधित दस्तावेज एकत्रित कर लिए है। सभी की जांच के बाद रिपोर्ट बनाकर शुक्रवार तक डीजी साब को सौंप देंगे।

– मंशाराम पटेल, डीआईजी जेल विभाग

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