तपती गर्मी भी यात्रियों के जोश के आगे बेअसर
उज्जैन, अग्निपथ। भोले के भक्तों की पंचकोशी यात्रा पूरे जोश के साथ जारी है। सोमवार को पंचकोशी यात्रियों का जत्था कालियादेह महल पहुंच गया। यहां पर यात्रियों ने 52 कुंड में स्नान किया और अपनी आगे की यात्रा को प्रारंभ किया।
118 किमी के कठिन रास्ते में पैदल चलना चुनौती से कम नहीं है। यात्रियों के लिए रास्तेभर सामाजिक संगठन, दानदाता और सरकार की ओर से सुविधा मिलती है। रास्ते में यात्रियों को नि:शुल्क भोजन, चाय, आइसक्रीम, फल, जल समेत खाने-पीने की चीजें उपलब्ध कराई जाती हैं। कुछ लोग यात्रियों के रुकने की व्यवस्था भी उपलब्ध करवाते हैं।
चिलचिलाती धूप में जहां थोड़ी दूर भी पैदल चलना मुश्किल है वहां पर पंचकोशी यात्री मस्ती में सिर पर कपडे और अन्य सामान का वजन उठाकर निरंतर चले जा रहे है। सिर पर तेज धूप पड़ रही है। जगह जगह पानी और ठंडक में बैठने का इंतजाम भी है, जहां वे थोड़ी देर रुकते हैं और फिर चल पड़ते हैं।
यात्रा में मुख्य और पहला पड़ाव पूर्व द्वार पर पिंगलेश्वर है। यात्रा में पिंग्लेश्वर, करोहन, अम्बोदिया, जेथल मुख्य पड़ाव हैं। वहीं, उपपड़ाव केडी पैलेस, नलवा, उंडासा होते हैं। कुल चार पड़ाव और तीन उपपड़ाव पार कर यात्रा पूरी होती है। पड़ावों और उपपड़ावों के बीच करीब 6 से 23 किलोमीटर तक की दूरी है। ये यात्रा पांच दिनों की होती है। इस दौरान पूजन-अर्चन कर श्रद्धालु भगवान से आशीर्वाद लेते हैं।
33 कोटि देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेने निकले श्रद्धालु
हिंदू धर्मशास्त्रों में पंचक्रोशी यात्रा का बहुत महत्व है। वैशाख मास का महत्व माघ और कार्तिक मास के समान है। इस महीने में दान-पुण्य, स्नान और धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व है। वैशाख मास में स्नान के महत्व का उल्लेख पुराणों में भी है। मान्यता है, जो लोग इस महीने में दान-पुण्य या स्नान नहीं कर पाए, वे इस यात्रा में शामिल होकर या अंतिम पांच दिनों में स्नान कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। यही कारण है कि कई लोग यात्रा के लिए महाकाल की नगरी पहुंचते हैं।
हालांकि ये यात्रा कब से शुरू हुई, इसका कोई सटीक उल्लेख नहीं है। फिर भी पंडितों का मानना है कि ये यात्रा अनादिकाल से चली आ रही है। मान्यता है कि महाकाल की नगरी उज्जैन की परिक्रमा कर लें तो 33 करोड़ देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। इसी मान्यता के साथ उज्जैन में कोई 2.5 लाख श्रद्धालु तीन दिन से पंचक्रोशी यात्रा में लगातार चल रहे हैं।
ये तप की यात्रा है
पंडित अनिमेष गुरु ने बताया कि उज्जैन में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास है। मनुष्य के जीवन में संभव नहीं कि सभी के दर्शन कर ले। इस नगरी की परिक्रमा करने से सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद मिल जाता है। भीषण गर्मी में पैदल चलने से विकार भी दूर होते हैं। ये तप की यात्रा है। बल लौटाकर यात्रा का समापन हो जाता है।