6 महीने से महाकालेश्वर मंदिर में चल रहा था भस्मआरती परमिशन का रैकेट

पुलिस ने 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया, मंदिर के दो सुरक्षाकर्मी भी शामिल

उज्जैन, अग्निपथ। महाकालेश्वर मंदिर में भस्मआरती की फर्जी परमिशन के एवज में हर रोज श्रद्धालुओं ऐंठने वाले एक गिरोह के 7 सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार करने में सफलता अर्जित की है। महाकालेश्वर मंदिर में पिछले लगभग 6 महीने से यह गिरोह सक्रिय था। गिरोह के सदस्य दर्शनार्थियों से भस्मआरती परमिशन दिलाने के एवज में प्रति व्यक्ति डेढ़ से दो हजार रूपए वसूलते थे और इन्हें फर्जी क्यूआर कोड लगी रसीद पकड़ा देते थे। मंदिर की सुरक्षा में लगी एजेंसी के दो कर्मचारियों की मदद से रूपए देने वाले दर्शनार्थियों को प्रवेश कराया जाता था।

16 अप्रैल को दिल्ली से उज्जैन दर्शन करने आए तीन श्रद्धालुओं के साथ भस्मआरती की परमिशन दिलाने के एवज में ठगी का एक मामला महाकाल थाने में दर्ज किया गया था। शुरूआत में साधारण से लगने वाले इस प्रकरण में जब पुलिस ने जांच शुरू की तो एक के बाद एक कई रहस्योद्घाटन होते गए। मंगलवार को एडिशनल एसपी अभिषेक आनंद ने एक संवाददाता सम्मेलन के जरिए इस काले धंधे में संलिप्त अपराधियों का कच्चा चिठ्?ठा रखा। मंदिर में संचालित फर्जी भस्मआरती परमिशन दिलाने वाले गिरोह के सदस्य पवन शर्मा निवासी सांदीपनि नगर ढांचाभवन, मृत्युंजय निवासी जयसिंहपुरा, शेखर तिवारी निवासी गदापुलिया हनुमान नाका, गौरव शर्मा, वैभव शर्मा निवासी नयापुरा, विपिन मकवाना, हर्ष घारिया निवासी अवंतिपुरा को गिरफ्तार किया है। इन लोगों से पूछताछ में गिरोह के साथी के रूप में ओर भी कुछ लोगों के नाम सामने आए है। इनके पास से पुलिस ने 6 मोबाइल फोन, 1 लैपटॉप, एक सीपीयू और 4500 रूपए जब्त किए है।

एक चूक ने खोल दी पोल

महाकालेश्वर मंदिर में फर्जी भस्मआरती परमिशन वाला रैकेट पिछले लगभग 6 महीने से काम कर रहा था। मंदिर प्रबंध समिति के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। 15-16 अप्रैल की मध्य रात्रि दिल्ली से आए जिन तीन दर्शनार्थियों को गिरोह के सदस्यों ने रूपए लेकर फर्जी भस्मआरती परमिशन का पत्र सौंपा था वे भूलवश किसी दूसरे गेट पर पहुंच गए थे।

इन्हें उस गेट पर जाना था जहां गौरव और विशाल शर्मा की ड्यूटी लगी थी। दूसरे गेट पर पहुंचने पर इनकी पर्ची का क्यूआर कोड स्कैन हुआ तो कंप्यूटर ने तत्काल पर्ची के फर्जी होने पर मुहर लगा दी। दिल्ली के दर्शनार्थियों से पूछताछ हुई, उन्होंने पुजारी पवन शर्मा, मृत्युंजय को रूपए देने की बात स्वीकार की और यहीं से गिरोह के एक-एक सदस्य की जानकारी खुलती चली गई। फर्जी भस्मआरती परमिशन का रैकेट चलाने वाले गिरोह के सभी सदस्य सफेदपोश है, इनमें से किसी का कोई पुराना आपराधिक रिकार्ड नहीं है।

ऐसे काम करता था गिरोह

  • पवन शर्मा काल सर्प दोष की पूजा कराता है। उसके पास जब भी कोई दूसरे शहर से शख्स पूजा कराने आता था, पवन पूजा कराने के अलावा उससे महाकालेश्वर मंदिर में भस्मआरती दर्शन के लिए राजी करता था। पवन जैसे ओर भी कई पुजारी हर रोज नए ग्राहक तलाशते थे।
  • पवन और अन्य दूसरे पुजारी भस्मआरती दर्शन के इच्छुक लोगों को मृत्युंजय और शेखर तिवारी के नंबर मुहैया कराते थे। ये दोनों भस्मआरती परमिशन दिलाने के एवज में लोगों से पैसे वसूलते थे।
  • विपिन मकवाना और हर्ष घारिया फर्जी क्यूआर कोड लगी पर्चियां जनरेट करते थे। इन्हें दर्शन के लिए रूपए चुकाने वाले शख्स को पकड़ा दिया जाता था और इनकी डिटेल गौरव व विशाल शर्मा को भेज दी जाती थी।
  • गौरव व विशाल शर्मा मंदिर की सुरक्षा वाली एजेंसी केएसएस के कर्मचारी है। भस्मआरती दर्शनार्थियों के प्रवेश द्वार पर इन्हीं की ड्यूटी होती थी। गिरोह द्वारा फर्जी अनुमति पत्र लेकर पहुंचाए जाने वाले दर्शनार्थियों को ये दोनों ही मंदिर में प्रवेश दिलाते थे।

मंदिर के बाहर से फिर धराए दो ठग

दिल्ली वाले श्रद्धालुओं से भस्मआरती की फर्जी रसीद के एवज में ठगी करने वाले सात अपराधियों के गिरोह को पुलिस मंगलवार को जिस वक्त कोर्ट में पेश कर रही थी, ठीक उसी वक्त महाकालेश्वर मंदिर के बाहर एक ओर गिरोह सक्रिय था। इस गिरोह के दो सदस्यों को मंदिर समिति के कर्मचारी और पंडे-पुजारियों ने महाकाल पुलिस के सुपूर्द कर दिया है।

इनके नाम योगेंद्र और विष्णु बैरागी बताए जा रहे है। मगलवार को दिल्ली से चार श्रद्धालु हनी सहगल, विष्णु शंकर पांडेय, आशीष सहगल और अंकुश दर्शन करने आए थे। चार नंबर गेट के नजदीक विष्णु बैरागी और योगेंद्र ने इनसे संपर्क किया और गर्भगृह के भीतर से जलाभिषेक कराने का कहकर इनसे 3100 रूपए पेटीएम के जरिए और 3100 रूपए नगद ले लिए।

दोनों ने दिल्ली से आए दर्शनार्थियों को मंदिर प्रबंध समिति की पुरानी रसीद पर नई सील लगाकर दे दी। भीतर सभा मंडप में रसीद की जांच के दौरान यह फर्जी पाई गई। दरअसल, पर्ची पर जिस पुरोहित का नाम लिखा है, उन्होंने खुद ही मंदिर के अधिकारियों को बताया कि मेरा तो आज कोई यजमान ही नहीं है, फिर मेरे नाम की रसीद कैसे कटकर आ गई।

इस खुलासे के बाद मंदिर के पंडे-पुजारियों और कर्मचारियों ने गेट नंबर चार के पास से विष्णु और योंगेंद्र को दबोचा व पुलिस के हवाले कर दिया। दोनों गर्भगृह प्रवेश की पुरानी रसीदें कहा से लेकर आए, इस बारे में पुलिस पूछताछ कर रही है।

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