‘चरक’ में खुलेआम रैफर का खेल: हाई रिस्क प्रिगनेंसी बताकर प्रसूता को भगाया

बकायदा फोन कर एंबुलेंस को भी बुलवा लिया, निजी अस्पताल जाने के आधे घंटे बाद डिलीवरी

उज्जैन, अग्निपथ। चरक अस्पताल में रैफर का खेल जमकर चल रहा है। रात्रि में आने वाली प्रसूताओं को हाई रिस्क् प्रिगनेंसी बताकर निजी अस्पतालों में रैफर किया जा रहा है। इतना ही नहीं इनका रैकेट इतना तगड़ा है कि अन्य अस्पताल में ले जाने के लिये वहां पर मौजूद डॉक्टर ने ही फोन कर ए बुलेंस को बुला लिया। हालांकि निजी अस्पताल ले जाने के आधे घंटे बाद ही प्रसूता की डिलीवरी हो गई।

मातृ एवं शिशु अस्पताल चरक भवन में प्रसूताओं के साथ छलावा किया जा रहा है। डिलीवरी करने की जगह इनको निजी अस्पतालों में भगाया जा रहा है। हाई रिस्क प्रिगनेंसी वाली प्रसूताओं के केस में तो हाथ ही नहीं डाला जा रहा है। ऐसा ही एक मामला 29 जुलाई की रात्रि को घटित हुआ जब फ्रीगंज निवासी रंजना पति राहुल माली पहली डिलीवरी करवाने के लिये चरक अस्पताल पहुंची थी। ड्यूटी पर मौजूद गॉयकनालॉजिस्ट ने उसकी प्रिगनेंसी का हाई रिस्क का बता दिया। उनका कहना था कि नवजात ने पेट के अंदर लेट्रिन कर दी है और पानी भी भरा गया है। यह सुनकर उसके परिजनों ने कहा कि आप तो उसकी डिलेवरी कर दें। लेकिन कोई हाथ रखने के लिये तैयार नहीं हुआ। बाद में आरएमओ का फोन जाने के बाद इस केस को हाथ में लेने को ड्यूटी डॉक्टर तैयार हुई।

सूझ नहीं रहा…झक मरा रही हो

इसके बाद दूसरे दिन सुबह प्रसूता को आपरेशन थियेटर ले जाया गया। इस दौरान डिलीवरी करवाने वाली पूरा स्टाफ इस कदर प्रसूता के परिजनों से अभद्रता करने लगा जैसे कि उन्होंने चरक अस्पताल आकर कोई बड़ा गुनाह कर दिया हो। आपरेशन थियेटर में ले जाने से पूर्व पैर में पायल पहना देखकर वहां पर खड़ी एक मैडम ने प्रसूता के परिजनों से कहा…..उतारने की सूझ नहीं रही है….झक मरा रही हो। यह सुनकर परिजन सन्न रह गये और उनको लगा कि यहां पर प्रसूता का रहना खतरे से खाली नहीं है।

फाइल पर डॉक्टर का नाम नहीं

कितने आश्चर्य की बात है कि हाई रिस्क प्रेगनेंसी फाइल के उपर प्रसूता और उसके पति का तो नाम डाला गया। लेकिन डॉॅक्टर का नाम नहीं लिखा गया। जबकि नियमानुसार फाइल के उपर जिस डॉक्टर ने देखा और जो डिलीवरी करवा रही है। उनका नाम लिखा होना चाहिये था।

इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि चरक अस्पताल में केवल सामान्य प्रसूति की करवाई जा रही है। हाई रिस्क का कोई केस आता है तो उसको रैफर कर दिया जाता है।

(मामले में स्वास्थ्य विभाग के किसी भी वरिष्ठ अधिकारी का वर्जन इसलिये नहीं लिया गया क्योंकि वे भी इन डॉक्टरों पर कार्रवाई करने से बचते हैं)

रैफर करने के लिये एंबुलेंस बुलवा दी

यहां पर पूरा का पूरा एक रैकेट प्रसूताओं की डिलीवरी के काम में लगा हुआ है। पहले तो यहां कि एक एक फाइल में आपरेशन करने ले जाने के लिये उनसे हस्ताक्षर करने को कहा गया। लेकिन प्रसूता के परिजन समझ चुके थे कि यहां पर प्रसूता और उसके बच्चे की जान को खतरा हो सकता है। लिहाजा परिजन रैफर करने की मांग करने लगे। इतने में आपरेशन थियेटर में ले जाने वाली मैडम ने ए बुलेंस भी बुला ली।

लेकिन परिजन इसको छोडक़र अपने निजी चौपहिया वाहन में प्रसूता को देवास रोड स्थित एक निजी अस्पताल ले गये। यहां पर प्रसूता की आधे घंटे में डिलीवरी हो गई।

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