पद्मश्री सुमित्रा गुहा का शास्त्रीय गायन, प्रवीण आर्य का समूह पखावज वादन व माधुरी कोडपे की कथक प्रस्तुति आज
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा आयोजित १८वे अखिल भारतीय श्रावण महोत्सव के तहत आज शनिवार को पांचवा आयोजन होगा। शिव संभवम के नाम से हो रहे इस सावन महोत्सव में पांचवे शनिवार 5 अगस्त को शास्त्रीय गायन, वादन और नृत्य की रसवर्षा से नटराज श्री महाकालेश्वर की आराधना होगी।
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने बताया शाम 7 बजे मंदिर के समीप स्थित त्रिवेणी कला एवं पुरातत्व संग्रहालय सभागृह में आयोजत होगा। जहां फरीदाबाद की पद्मश्री सुश्री सुमित्रा गुहा के शास्त्रीय गायन, जयपुर के प्रवीण कुमार आर्य एवं सहयोगी कलाकारों द्वारा पखावज त्रिवेणी की प्रस्तुति होगी। कार्यक्रम की संध्या का समापन उज्जैन की माधुरी कोडपे के कथक नृत्य की प्रस्तुति से होगा।
कलाकारों का परिचय
सुविख्यात गायिका पदमश्री विदुषी सुमित्रा गुहा – आज संगीत जगत में ख्याल गायन की एक दुर्लभ धारा लेकर आती है जो अपने श्रोताओं के जीवन की बेहतर गुणवत्ता को प्रेरित करती है। उनके संगीत कार्यक्रमों में उनका अनुभव स्पष्ट रूप से प्रकट होता है जो श्रोताओं के ह्रदय में भक्ति की अमिट छाप छोड़ती है।
आपने पंडित ए. कानन जी एवं विदुषी मालविका कानन जी के मार्गदर्शन में किराने घराने की कलात्मकता में महारथ हासिल की। आपने पंडित जी के मार्गदर्शन में ही उस्ताद बड़े गुलाम अली खान के सिद्ध शिष्य सुशील कुमार से भी प्रशिक्षण ली, इस प्रकार हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत गाने वाली आंध्र प्रदेश की पहली महिला संगीतकार बनी जिसने भारत और विदेशों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया और कई पुरस्कारों से नवाजी गई है।
आप ऑल इंडिया रेडियो की टॉप ग्रेड कलाकार के अलावा आपको भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद से एक उत्कृष्ट कलाकार एवं 2010 में पद्मश्री और 2020 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है ।
पं.प्रवीण कुमार आर्य- आपके द्वारा परिकल्पित इस अनूठी प्रस्तुति में तीन पखावज वादकों की एक साथ प्रस्तुति होती है । कुदसिंह घराने की बंदिशों की खूबसूरती, लमछड अंदाज़, गम्भीरता, लयकारियों की सुंदरतम पेशकश की जाती है । पं.आर्य के अतिरिक्त दो पखावज वादकों में आप ही के शिष्य श्री छवि जोशी, पुत्र श्री ऐश्वर्या आर्य हैं जो कि पखावज के उभरते कलाकार हैं।
सुश्री माधुरी कोडपे – सुश्री कोडपे एक प्रख्यात राष्ट्रीय कथक नृत्यांगना हैं। अपनी सम्मोहक प्रस्तुति के माध्यम से माधुरी ने कला जगत में एक ख़ास पहचान बनाई है। माधुरी द्वारा रचनात्मक और मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति में भाव और नृत्य का सामंजस्य नृत्यकला का अविश्वसनीय प्रभाव छोड़ता है। सुश्री माधुरी ने प्रथम गुरु के रूप में प्रख्यात नृत्य गुरु पं. हरिहरेश्वर पोद्दार के मार्गदर्शन में कथक का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
उसके बाद ग्वालियर की प्रख्यात कथक नृत्यांगना एवं गुरु डॉ. तरूणा सिंह से कथक का विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त किया। तत्पश्चात पं.जयकिशन महाराज एवं नृत्य शिरोमणि पद्म विभूषण पं.बिरजू महाराज से उनके द्वारा आयोजित विशेष कार्यशालाओं में भी प्रशिक्षण प्राप्त किया । नृत्य गुरु पं. प्रताप पंवार लन्दन, श्रीमती दुर्गा आर्या-जर्मनी, श्रीमती प्रीति सिन्हा-दिल्ली, श्रीमती विद्या हरि देशपांडेय-नासिक से प्रशिक्षण प्राप्त कर कथक नृत्य की बारीकियों को आत्मसात किया ।