अव्यवस्थाओं के खिलाफ विधायक पारस जैन भी बैठ गये धरने पर
उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन के श्रीमहाकालेश्वर मंदिर में नागपंचमी की व्यवस्थाएं बनाने में प्रशासन विफल रहा। दर्शनार्थी हर मोड़ पर इतना परेशान हुए कि यहां से दु:खी मन से लौटे। मंदिर में ऐसी स्थिति भी बनी कि पुलिसकर्मियों के व्यवहार से दु:खी दर्शनार्थी शिवराज मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे। हालात ऐसे भी बने कि व्यवस्था से परेशान होकर स्थाानीय विधायक पूर्व मंत्री पारस जैन को भी मंदिर में ही नाराज होकर धरने पर बैठना पड़ा।
उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में नागपंचमी पर 21 अगस्त को करीब 8 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे।आस्था के जन सैलाब का प्रशासन को पहले से पता था, इसके बावजूद की गई सभी व्यवस्था फेल हो गई। कई भक्तों को तीन से चार किमी दूर तक पैदल चलकर भी दर्शन नसीब नहीं हुए। सुबह से ही विवाद की स्थिति बनती रही।
हालत ये हो गई कि भक्तों ने लाइन में लगकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह मुर्दाबाद के नारे लगाना शुरू कर दिए। अव्यवस्था से नाराज विधायक पारस जैन मंदिर में धरने पर बैठ गए।
सूत्रों के मुताबिक एक महिला सुरक्षााकर्मियों के व्यवहार से दु:खी होकर रोने लगी। आसपास मौजूद लोग भी नाराज हो गये और शिवराज मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे।
पहले से तय था भीड़ आयेगी, फिर व्यवस्था फेल कैसे
21 अगस्त को श्रावण माह का सातवां सोमवार, भगवान महाकाल की सवारी और नागपंचमी का पर्व एक ही दिन आने से मंदिर में भक्तों सुनामी आ गई। मंदिर समिति के अनुसार 24 घंटे में 8 लाख 50 हजार से अधिक भक्त दर्शन के लिए पहुंचे। बड़ी संख्या में पहुंचे भक्तों के बीच नागपंचमी पर अव्यवस्थाओं का अम्बार लग गया।
पूरे मार्ग की बेरिकेटिंग कर भक्तो को नागचंद्रेश्वर मंदिर तक पहुंचाया गया। प्रशासन लोगों को समझा नहीं पाया कि दर्शन के लिए कहां से लाइन में लगें। यही हाल महाकाल जाने वाले श्रद्धालुओं के साथ भी रहा। जो लोग नागचंद्रेश्वर मंदिर के दर्शन कर चुके थे, उन्हें पता ही नहीं चला की महाकाल मंदिर के दर्शन की कतार कहां से लग रही है।
बाहर से आये पुलिस बल को कोई जानकारी नहीं
व्यवस्था के लिए बाहर से पुलिस बल बुलाया था लेकिन उन्हें यह नहीं समझाया की नागचंद्रेश्वर और महाकाल मंदिर के इंट्री पॉइंट कहाँ है। वे भी दर्शनार्थियों को यहां से वहां भेजते रहे। इस बार मंदिर समिति ने शीघ्र दर्शन व वीवीआईपी दर्शन के पास रात को ही बाँट दिए थे। सुबह तक लोग भटकते रहे।
व्यवस्था में लगे कर्मचारियों को भी इसकी जानकारी नहीं थी की पास धारक की इंट्री कहाँ से होगी। वीआईपी पास धारी की इंट्री कहां से होगी पुलिस वालो को नहीं बताया गया। जिससे जगह-जगह विवाद की स्थिति निर्मित हुई। कई भक्त रात 12 बजे अपने चार पहिया वाहन बडऩगर रोड पर बनी पार्किंग पर खड़े कर पैदल मंदिर पहुंचे क्योकि, वहां मुफ्त चलने वाली बस नहीं थी।
सुरक्षा जवान ही भ्रमित कर रहे थे दर्शनार्थियों को
सुबह 7 बजे हरसिद्धि चौराहा पर दिल्ली से आई छाया वर्मा ने बेरिकेटिंग के बाहर से पुलिसकर्मी से पूछा कि नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर लिए है अब महाकाल मंदिर दर्शन करना है कहा से होंगे। ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी ने महिला को फिर से नागचंद्रेश्वर मंदिर में लाइन में लगने का बोल दिया। नरसिंह घाट पर करीब 20 लोगो का ग्रुप हाथो में 300 रुपए के टिकट लेकर इंट्री गेट तलाश रहा था लेकिन उन्हें कोई बताने वाला नहीं था की शीघ्र दर्शन की कतार कहाँ से शुरू होगी।
बाद में पता चला की रात तीन बजे से शीघ्र दर्शन के पास बांट दिए और करीब 5 घंटे बाद भी इंट्री शुरू नहीं की गई। साधु-संत भी सुरक्षा जवानों की अभद्रता का शिकार हुए। ऐसे हालात संभवत: पहली बार बने हैं।
परेशान होकर विधायक भी बैठ गये धरने पर
नागपंचमी पर अव्यवस्था का शिकार सिर्फ आम दर्शनार्थी ही नहीं बल्कि स्थानीय विधायक और मीडियाकर्मी भी हुए। हालात यह रहे कि अव्यवस्थाओं से नाराज होकर भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री पारस जैन महाकाल मंदिर में धरने पर बैठ गये। नागपंचमी पर्व पर दर्शन व्यवस्था में बांटे गए वीआईपी पास को लेकर वे नाराज थे। उनका कहना था कि अगर व्यवस्था नहीं बना सकते थे तो पास बांटे क्यों। साफ कह देते कि वीआईपी दर्शन नहीं करवा सकते हैं।
जब दर्शन नहीं करवा सकते थे तो पास क्यों बांटे-विधायक
विधायक जैन ने बताया वीआईपी व्यवस्था में कुछ पास बांटे गए जिसमें लिखा था नरसिंह घाट से जाने दिया जाए लेकिन मुझे जानकारी लगी की वहां से किसी को जाने नही दिया जा रहा। मैंने तत्काल कलेक्टर एसपी से बात की और नृसिंह घाट की जगह बेगमबाग से जाने देने के लिए अपनी बात रखी। जब बेगम बाग से जाने दिया जा रहा था तो आगे जाकर फिर रोक दिया जा रहा था। मैं खुद वहां पहुंचा और मैं सुरक्षा कर्मियों गार्ड से बोला कि इनको क्यों रोक रहे हैं पास होने के बावजूद।
आने वाले समय के लिए मेरा कलेक्टर एसपी से निवेदन है कि या तो पास व्यवस्था रखी है तो उन्हें दर्शन व्यवस्थित करने का मौका दिया जाए और नहीं तो पूरी तरह से यह व्यवस्था बंद रखी जाए।
अव्यवस्था का प्रमाण : जगह-जगह बिखरे थे जूते-चप्पल
नागपंचमी के अगले दिन मंगलवार को जगह-जगह इस तरह दर्शनार्थियों के जूते-चप्पल के ढेर लगे हुए थे। जो यह प्रमाण दे रहे हैं कि अव्यवस्था किस तरह फैली थी। जिसने जहां जूते-चप्पल उतारे फिर उस जगह वो दोबारा पहुंच ही नहीं सका।