उज्जैन, अग्निपथ। भगवान श्री महाकाल मंदिर में पारंपरिक दीपोत्सव गुरुवार रमा एकादशी के मौके से प्रारंभ हो गया। शाम को आरती के बाद गर्भगृह और नंदीहाल में दीप जलाकर दीप उत्सव का आगाज किया गया है।
श्री महाकाल मंदिर में धनतेरस का पर्व शुक्रवार 10 नवंबर को मनाया जायेगा। परंपरानुसार धनतेरस पर सुबह समस्त पुजारी-पुरोहित समिति द्वारा भगवान का अभिषेक व पूजन अर्चन किया जाएगा। इस दौरान पूजन में मंदिर समिति के अध्यक्ष व कलेक्टर मंदिर समिति के प्रशासक व अन्य अधिकारी भी मौजूद रहेंगे।
दीपावली उत्सव के तहत शुक्रवार को धनतेरस पर्व पर श्री महाकालेश्वर मंदिर पुरोहित समिति के तत्वावधान में सुबह भगवान महाकालेश्वर का पूजन-अभिषेक किया जाएगा।
शुक्रवार सुबह 9 बजे बाबा महाकाल का पूजन अभिषेक किया जाएगा। वहीं रविवार 12 नवंबर को सुबह रूप चौदस पर भगवान महाकाल को अभ्यंग स्नान करवाया जाएगा, इस दौरान बाबा को हल्दी, चंदन, इत्र, सुगंधित द्रव्य से स्नान होगा। पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान को उबटन लगाएंगी। इसके साथ ही बाबा को गर्म जल से स्नान प्रारंभ होगा।
धनतेरस से माँ गजलक्ष्मी का दुग्धाभिषेक होगा
नई पेठ स्थित माता गजलक्ष्मी मंदिर में शुक्रवार को धनतेरस से दीपावली उत्सव प्रारंभ हो जायेगा। मंदिर के पुजारी पं.राजेश शर्मा ने बताया धनतेरस से दीपावली तक तीन दिन सुबह 8 बजे से माता गजलक्ष्मी का दुग्धाभिषेक होगा। दीपावली के दिन 21 सौ लीटर दूध से अभिषेक किया जाएगा। दिन में माता का विशेष शृंगार कर पूजा-अर्चना की जाएगी। इसके बाद हवन होगा। शाम को छप्पन पकवानों का भोग लगाकर महाआरती की जाएगी। सुबह से रात 2 बजे तक दर्शनार्थियों का तांता लगा रहेगा। महिलाओं को सौभाग्य कुमकुम व प्रसादी बांटी जाएगी। मान्यता है कि प्राचीन गजलक्ष्मी माता की आराधना करने से धन धान्य की प्राप्ती होती है। माँ गजलक्ष्मी राजा विक्रमादित्य की राजलक्ष्मी के रूप में यहां विराजित है।