पर्यावरण की प्रमुख दुश्मन पॉलीथिन की रोकथाम में नगर निगम का अमला पिछले कुछ दिनों से फिर जुट गया है। निर्धारित मापदंडों से कम माइक्रोन की पॉलीथिन की धरपकड़ शहर में अलग-अलग टीमें कर रही हैं। कई जगह विवाद की स्थिति भी बन रही है। जिसमें शनिवार को एक निगम कर्मचारी घायल भी हो गया। यह पॉलीथिन आमतौर पर किराना दुकान, दूध-सब्जी-फू्रट विक्रेता आदि के पास होती है, जिसमें कम कीमत का छोटा-मोटा सामान दिया जाता है।
यह पॉलीथिन कपड़े की थैली के मुकाबले लगभग आधी कीमत की होने के कारण छोटे-छोटे व्यापारी इनका उपयोग करते हैं। यह पॉलीथिन पतली होने के कारण रिसाइकिल नहीं होती और बरसो-बरस तक जमीन में रहकर मिट्टी की उत्पादक क्षमता खत्म कर देती है।
नगर निगम की टीम कम माइक्रोन की पॉलीथिन छोटे-छोटे विक्रेताओं के यहां तो तलाश रही है और जुर्माना कर रही है, लेकिन बड़े दुकानदार जो इस पॉलीथिन को छोटे-छोटे स्ट्रीट वेंडर और किराना व्यवसाइयों को बेच रहे हैं, उन पर कार्रवाई नहीं हो रही। अगर बड़े दुकानों से ही इस पॉलीथिन पर नियंत्रण हो जाए तो छोटे दुकानदारों तक यह पॉलीथिन पहुंचेगी ही नहीं।