शिप्रा नदी में अवभृत स्नान के बाद जलात्मक आहुतियां दी गई, सोमरस से लिप्त पात्रों का जल में विसर्जन किया
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में चल रहे सौमिक अनुष्ठान की गुरुवार को पूर्णाहुति हो गई। यज्ञ के अंतिम दिवस यज्ञ का शेष कर्म यज्ञपुच्छ सम्पन्न कराके अवभृत इष्टी नामक याग क्षिप्रा नदी में जलात्मक आहुतियो के साथ संपन्न किया गया।
शिप्रा नदी पर अग्निहोत्री यजमान दंपती के व्रत विसर्जन हेतु स्नान कराया गया, साथ ही सम्पूर्ण याग में उपयोग किये गये सोमरस से लिप्त पात्रों का जल में विसर्जन किया गया। सभी ऋत्विज द्वारा स्नान करके यज्ञ को सम्पन्न कराया गया। स्नान आदि के पश्यात यज्ञ स्थल पर वेदों के मंत्रो से अग्नि में आहुतियाँ प्रदान कर पुर्णाहुति दी गई।
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा पूर्व में समय-समय पर उत्तम जलवृष्टि के लिए पर्जन्य अनुष्ठान के आयोजन किये गये हैं। इसी तारतम्य में जन कल्याण हेतु सौमिक सुवृष्टि अग्निष्टोम सोमयाग का आयोजन श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा 4 से 9 मई तक किया गया।
पूर्णाहुति मौके पर सोमयाग में स्वामी नरसिह विजेन्द्र सरस्वती, श्री महानिर्वाणी अखाड़ा के महंत विनीत गिरी, श्री आदित्य वल्लभाचार्य महाराज, आरएसएस के अभा अधिकारी भागैया जी, सुरेश जोशी (भैयाजी), सुरेश सोनी , दिनेश शर्मा, पराग अभ्यंकर, राजेंद्र शर्मा गुरुजी, पुजारी राम शर्मा, गजानन डागे आदि सम्मिलित हुए।
सम्मिलित अतिथियो द्वारा सोमयाग में पधारे यज्ञाचार्य व ऋत्विजो का सम्मान किया गया। इस मौके श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबन्ध समिति द्वारा सोमयाग की व्यवस्थाओ में लगे सभी अधिकारियो व कर्मचारियों का भी सम्मान किया गया।
नंदी मंडपम् में चल रहे महारुद्राभिषेक मेें पांचवे दिन माखन सिंह शामिल
महाकाल मंदिर के नंदी हाल में 5 मई से महारुद्राभिषेक यज्ञ शासकीय पुजारी पं. घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में चल रहा है। पांचवे दिन गुरुवार को प्रात: 8 बजे श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में पूजन के बाद नंदी मंडपम में माखन सिंह चौहान, राजेंद्र शर्मा गुरुजी द्वारा महारुद्राभिषेक का संकल्प कर पूजन की गई।
पूजन पुजारी पं. विकास शर्मा द्वारा संपन्न करवायी गई। उसके पश्यात 22 ब्राम्हणों को महारुद्राभिषेक का प्रारम्भ किया गया। प्रतिदिन 22 ब्राह्मणों द्वारा लघुरुद्र का पाठ किया जा रहा है, जो प्रात: 8 बजे से 11 बजे तक श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी एवं पुरोहितों के माध्यम से संपन्न किया जा रहा है। 10 मई अक्षय तृतीया को महा-रुद्राभिषेक की पूर्णाहुति की जायेगी।