सरकार! दरकार है रहमो करम की तुमसे

उज्जैन के लिये यह गौरव की बात है कि मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार दो दिनों के लिये भगवान महाकाल की शरण में है। अनादिकाल में सम्राट विक्रमादित्य की राजधानी रहा उज्जयिनी एक बार फिर अपने शहर को राजधानी के रूप में देख रहा है।

भारतीय जनता पार्टी के सभी विधायक (मंत्री, मुख्यमंत्री सहित) दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में भाग ले रहे हैं। केन्द्र के मंत्री एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ लोग भाजपा विधायकों को पार्टी के प्रति निष्ठा, नैतिकता, कार्य और व्यवहार सिखायेंगे। पूरी सरकार के दो दिवसीय डेरे को लेकर पूरा प्रशासन चाक चौबंद है। पूरी शासकीय मशीनरी तन्मयता से इस प्रयास में लगी है कि अतिथियों के सत्कार में किसी प्रकार की कोई कमी ना रह जाए, सडक़ों पर डामरीकरण से लेकर डिवाइडरों की रंगाई-पुताई से उज्जैयिनी को सजा दिया गया है।

नि:संदेह शिवराज जी की यह तीसरी पारी मुख्यमंत्री के रूप में पहले से कहीं अधिक आक्रामक है। चाहे वह मिलावटखोरों या माफियाओं के विरुद्ध चलाये जा रहे अभियान के रूप में हो या फिर सरकारी मशीनरी में कसावट का मामला हो। उदाहरण के तौर पर गत दिवस वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान दो जिलों के कलेक्टर, दो एसपी व सी.एस.पी. को तत्काल हटा दिया गया। इस कार्रवाई ने सरकारी तंत्र को संदेश दे दिया है कि मुख्यमंत्री अब किसी भी तरह की लापरवाही या ढिलायी सहन करने के मूड में नहीं है।

कोरोना से सक्षम तरीके से निपटने में भी मध्यप्रदेश सरकार को पूरी तरह से सफल माना जायेगा। शुरुआती दिनों में स्थिति बिगडऩे के बाद शासन ने जिस तरह से इस महामारी पर नियंत्रण पाया है वह काबिले तारीफ है। आर्थिक संकटों से जूझ रही सरकार के सामने सबसे बड़ा संकट वित्त का ह।ै आने वाला समय इस सरकार के लिये चुनौती भरा है। खाली सरकारी खजाने को किस तरह से भरा जाए यह उसकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है।

उम्मीद की जाना चाहिये कि प्रशिक्षण के बाद विधायक मंत्री एक नई ऊर्जा और जोश के साथ आने वाली चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होंगे। साथ ही कोरोना से प्रभावित आम जन के हित के लिये भी संकल्प लेंगे। आठ सत्रों में चलने वाले दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आज अंतिम दिन है, विधायक नीयत, नीतियों, अनुशासन का पाठ पढ़ेंगे यह तो अच्छी बात है परंतु जब पूरी सरकार हमारे नगर में हो तो उज्जैनवासियों को इस सरकार से अपेक्षाएँ होना मानव प्रकृति है।

वर्षों पूर्व मालवा की एक तरह से व्यवसायिक राजधानी रहा बाबा महाकाल का यह शहर वर्तमान में व्यवसायिक दृष्टि से मरूस्थल बन गया है। कभी इस शहर की रौनक रहे बिनोद, विमल, इंदौर टेक्सटाइल, हीरा मिल, सोयाबीन प्लांट, श्री सिंथेटिक्स, इस्को पाइप फैक्ट्री की चिमनियों ने बरसो पहले धुआँ उगलना बंद कर दिया है। श्रमिकों से गुलजार रहने वाले इस शहर ने ना सिर्फ प्रदेश बल्कि अन्य राज्यों के नागिरको को भी रोजगार-व्यवसाय उपलब्ध कराये थे। आज सब दूर वीरानी का आलम है। मात्र महाकालेश्वर मंदिर के दम पर ही सैकड़ों घरों के चूल्हों में आग जल रही है और परिवार पल रहे हैं। अन्यथा यहाँ लोगों को पेट भरना भी मुश्किल हो जाता।

चूँकि प्रजातंत्र की पूरी सरकार यहाँ मौजूद है तो यहाँ का हर नवजवान, हर वह बेरोजगार श्रमिक जिसकी आँखें रोजगार की आस में पथरा सी गई है वह ‘शिव’ की सरकार से आस करता है कि उसे मुफ्त का गेहूँ नहीं चाहिये, उसके हाथों को काम चाहिये। इस शहर को ऐसे उद्योग की दरकार है जो 5-10 हजार लोगों को रोजगार दे सके। यदि शहर में ठहरी पूरी सरकार उज्जैन के इस संवेदनशील मुद्दे पर गौर करेगी तो महाकाल का आशीर्वाद तो मिलेगा ही, यहाँ के नागरिक भी जीवन भर इस सरकार के ऋणी रहेंगे।

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