यात्रा वृत्तांत-4: दुनिया को अहिंसा, करुणा और शांति का संदेश देने वाले गौतम बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी ‘द लवली’

अर्जुन सिंह चंदेल

(कल से आगे)

लुम्बिनी की सुबह बड़ी सुहावनी थी हमारी नेपाल की धरती पर यात्रा की पहली रात थी। सुबह उठकर सबसे पहले लुम्बिनी की पवित्र रज को अपने माथे पर लगाया क्योंकि हम उस महामानव की जन्म स्थली पर थे, जिसने पूरी दुनिया को अहिंसा, करुणा और शांति का संदेश दिया। दुनिया की 800 करोड़ आबादी में से 64 करोड़ बौद्ध अनुयायियों की पवित्र स्थली लुम्बिनी में होटल के सामने सडक़ क्रास करते ही हजारों बीघे में फैला लुम्बिनी पार्क था।

सारे टूरिस्ट स्थानों की तरह यहां भी रिक्शे वाले बेवकूफ बनाने की कोशिश करते हैं। विशालकाय लुम्बिनी पार्क में प्रवेश के लिये नौ प्रवेश द्वार है। पार्क में स्थित सारे मठों के दर्शन किये जाए तो पूरा दिन लग सकता है। नेपाल सरकार ने लुम्बिनी पार्क की भूमि पूरी दुनिया में बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिये निशुल्क उपलब्ध करा रखी है।

चीन, हॉगकॉग, ताईवान, जापान, तिब्बत, वियतनाम, भूटान, म्यांमार, कंबोडिया, श्रीलंका, थाइलैंड, मंगोलिया और लाओस जैसे देश हैं जहाँ बौद्धों की संख्या अधिक है। इनमें से अधिकांश देशों ने अपनी-अपनी मोनेस्ट्री (स्तूप) बना रखे हैं जिनका रखरखाव का खर्च वह देश स्वयं उठाते हैं, भूमि नेपाल सरकार की है।

गौतम बुद्ध का जन्म स्थान माया देवी मंदिर

लुम्बिनी पार्क का मुख्य आकर्षण है भगवान बुद्ध की माता जी के नाम से बना माया देवी मंदिर जिसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। यह एक प्राचीन बौद्ध मंदिर है जिसे पारंपरिक रूप से गौतम बुद्ध का जन्म स्थान माना जाता है। माया देवी को महामाया के नाम से भी जाना जाता है वह शाक्य के राजा शुद्धोधन की पत्नी थी। बौद्ध धर्म के अनुसार गौतम बुद्ध को जन्म देने के 7 दिन बाद माया देवी की मृत्यु हो गयी थी। माया देवी ने अपने बेटे बुद्ध का लालन पोषण नहीं किया था उनका पालन उनकी मौसी महापजापति गौतमी ने किया।

दुनिया भर के बौद्ध अनुयायी लुम्बिनी स्थित मायादेवी मंदिर आकर उस स्थान के दर्शन लाभ लेते हैं जहाँ गौतम बुद्ध का लगभग 2000 वर्ष पूर्व जन्म हुआ था। विशालकाय लुम्बिनी पार्क में अभी भी अनेक जगह निर्माण कार्य चल रहे हैं। मंदिर के पास में ही सुंदर तालाब है जहाँ कुमुदिनी खिली हुयी थी। अपने राम को आगे भी यात्रा करती थी इस कारण मुख्य-मुख्य देशों की मोनेस्ट्री देखी इसी में लगभग दो से ढाई घंटे लग गये।

4.8 किलोमीटर लंबा और 1.6 किमी चौड़ा लुम्बिनी पार्क

लुम्बिनी नेपाल के सात प्रदेशों में से एक है और इसमें 13 जिले हैं। लुम्बिनी पार्क की लंबाई 4.8 किलोमीटर और चौड़ाई 1.6 किलोमीटर है। इस पार्क में केवल मठ ही बनाए जा सकते हैं, कोई दुकानें, होटल या रेस्तरां नहीं है। दिल तो लुम्बिनी छोडक़र जाने का नहीं कर रहा था क्योंकि हम महात्मा सिद्धार्थ गौतम बुद्ध की जन्म स्थली में थे जिसने कहा था ‘जीवन में हजारों लड़ाईयां जीतने से अच्छा है तुम स्वयं पर विजय प्राप्त कर लो। फिर जीत हमेशा तुम्हारी होगी इसे तुमसे कोई नहीं छीन सकता।’

बुद्ध ने यह भी कहा था। ‘खुशियां बांटने से बढ़ती है ठीक उसी तरह जैसे जलते हुए दीपक से हजारों दीये जलाने के बाद भी उसकी रोशनी कम नहीं होती।’

अब हमें हमारी नेपाल यात्रा के सबसे खूबसूरत स्थान पोखरा पहुंचना था जो लगभग 202 किलोमीटर था और यात्रा समय 3 घंटे बता रहा था। दिन में लगभग 12:30 बजे हम लोग निकल पड़े पोखरा के लिये लुम्बिनी जिसे ‘द लवली’ भी कहा जाता है को अलविदा कहकर…
(शेष अगले अंक में)

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