सिंहस्थ के पहले प्रवाहमान करेंगे शिप्रा को

वर्षाकाल के बाद भी शिप्रा में बना रहेगा निरंतर जल प्रवाह, सेवरखेड़ी योजना पर काम करने के निर्देश

उज्जैन, अग्निपथ। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर शिप्रा नदी में निरंतर जल प्रवाह के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाई गई है। जिसके तहत सिंहस्थ के पहले शिप्रा को लगातार प्रवाहमान रखने की तैयारी की गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसके लिए हाल ही में बनी सेवरखेड़ी योजना पर काम शुरू करने के निर्देश दे दिये हैं।

शिप्रा में निरंतर जल का प्रवाह बना रहे, इसके लिए बैराजों के निर्माण किये जा रहे हैं और सबसे महत्वपूर्ण काम कान्ह नदी का पानी शिप्रा में मिलने से रोकना भी शामिल है। इसके अलावा शिप्रा नदी पर श्रद्धालुओं को स्नान में सुविधा के लिए सुविधाजनक घाटों को बनाने की भी योजना है। घाटों के निर्माण में लगने वाले पत्थर और अन्य सामग्री का चयन विशेषज्ञों द्वारा किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस संबंध में संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों और इंजीनियरों को काम शुरू करने के निर्देश बुधवार को जारी कर दिये हैं।

सीएम ने शिप्रा के जल को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कान्ह नदी को बायपास, कान्ह नदी पर 11 बैराजों के निर्माण, सिंहस्थ के लिए शिप्रा नदी में निरंतर जल प्रवाह और शिप्रा नदी पर प्रस्तावित 18 बैराजों के निर्माण और शिप्रा नदी पर स्नान के बेहतर प्रबंध के लिए घाटों के निर्माण तथा विकास के निर्देश दिए गए हैं।

कार्ययोजना के अंतर्गत शिप्रा नदी में सेवरखेड़ी बैराज से मानसून के समय पानी लेकर सिलारखेड़ी जलाशय का विस्तार कर उसमें भरे जाने की व्यवस्था रहेगी। बाद में वो पानी मानसून के अलावा बाकी समय शिप्रा नदी में जल प्रवाहित होता रहेगा। श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों को आचमन और स्नान के उद्देश्य से शिप्रा में निर्बाध प्रवाह का लाभ मिलेगा।

3 जिले में 18 बैराज का निर्माण

शिप्रा पर प्रस्तावित 18 बैराज का निर्माण उज्जैन, इंदौर और देवास जिले में किया जाना है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वरिष्ठ अधिकारियों को हिदायत दी है कि कार्ययोजना के सभी कार्यों को समय-सीमा में गुणवत्ता से पूर्ण किया जाए। यह भी ध्यान रखा जाए कि निर्माण कार्य चलने से स्थानीय निवासियों को कोई असुविधा न हो। शिप्रा नदी पर प्रस्तावित संरचनाओं, प्रस्तावित बैराजों के निर्माण तथा आवश्यक घाटों के निर्माण में इस पक्ष को अनदेखा न किया जाए।

एक दर्जन से अधिक घाटों की सूरत भी बदलेगी

प्रस्तावित कार्ययोजना के अनुसार उज्जैन में शनि मंदिर से वी.आई.पी. घाट तक 1500 मीटर, वी.आई.पी. घाट से जीवनखेड़ी ब्रिज तक 7175 मीटर, जीवनखेड़ी ब्रिज से वाकणकर ब्रिज तक 3810, वाकणकर ब्रिज से गऊघाट स्टॉपडेम तक 2938 मीटर, चक्रतीर्थ से ऋणमुक्तेश्वर ब्रिज तक 1590 मीटर, भर्तृहरि गुफा और सिद्धवट से नागदा बायपास तक 11442 मीटर और शनि मंदिर से गोठडा बैराज तक 760 मीटर इस तरह कुल लगभग 29 हजार 215 मीटर की लम्बाई में घाटों के निर्माण के कार्य सम्पन्न होंगे। इन कार्यों से घाटों की सूरत बदल जाएगी।

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